Wed, 10 Dec 2025 00:17:23 - By : SUNAINA TIWARI
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में विशेष मतदाता सूची सघन पुनरीक्षण के दौरान बूथ लेवल अधिकारियों को मिल रही धमकियों और राज्य प्रशासन के कथित असहयोग को गंभीर चिंता का विषय बताया है। अदालत ने कहा कि इस स्थिति पर शीघ्र नियंत्रण जरूरी है, वरना मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया प्रभावित होने के साथ अराजकता भी फैल सकती है। अदालत का मानना है कि यह मामला चुनाव प्रक्रिया के मूल ढांचे से जुड़ा है और किसी भी तरह की बाधा लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है।
प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विशेष पुनरीक्षण पूरी पारदर्शिता के साथ हो और इसमें किसी भी तरह की खामी न रहे। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी स्तर पर बाधा या असहयोग की स्थिति बनती है तो चुनाव आयोग उसे अदालत के संज्ञान में ला सकता है और आवश्यक होने पर अदालत उचित आदेश देने में संकोच नहीं करेगी।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपने पक्ष में कहा कि उसके पास व्यापक अधिकार हैं और वह राज्य सरकार के सहयोग से ही इस प्रक्रिया को सुचारू रूप से पूरा करना चाहता है। आयोग ने यह भी बताया कि जिन परिस्थितियों में राज्य सरकार सहयोग नहीं करेगी, वहां आयोग के पास स्थानीय पुलिस को प्रतिनियुक्ति पर लेने का विकल्प मौजूद है। यदि स्थिति इसके बावजूद सामान्य नहीं होती है तो आयोग केंद्रीय बलों की सहायता लेगा ताकि बूथ लेवल अधिकारियों को सुरक्षा मिल सके और वे बिना डर के अपनी जिम्मेदारियां निभा सकें।
याचिका सनातनी संसद संगठन की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पश्चिम बंगाल में पुनरीक्षण कार्य में शामिल कई अधिकारियों को धमकियां मिल रही हैं और पुलिस से पर्याप्त सहायता नहीं मिल पा रही। याचिका में यह मांग भी की गई है कि विशेष पुनरीक्षण की अंतिम सूची प्रकाशित होने तक राज्य पुलिस को चुनाव आयोग के नियंत्रण में दे दिया जाए, ताकि निष्पक्ष और सुरक्षित माहौल सुनिश्चित किया जा सके।
अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया और विस्तृत जवाब मांगा है। अगले चरण में अदालत यह आकलन करेगी कि आयोग को किन अतिरिक्त कदमों की आवश्यकता है और राज्य सरकार को किस हद तक सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण बना दिया है, क्योंकि मतदाता सूची का पुनरीक्षण देश की चुनाव व्यवस्था का मूल आधार माना जाता है।