तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची से नाम हटाने पर चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल

राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची से लाखों नाम हटाने का आरोप लगाया, चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए।

Sat, 02 Aug 2025 14:53:23 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

पटना,2 अगस्त 2025: राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने शनिवार को चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए, जिससे प्रदेश की सियासत में हलचल मच गई। पटना में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान तेजस्वी यादव ने दावा किया कि उनका नाम मतदाता सूची के नए प्रारूप से हटा दिया गया है। उन्होंने चुनाव आयोग के मोबाइल एप पर अपने ईपीआईसी नंबर से नाम खोजने की सार्वजनिक कोशिश की, जिसमें कोई परिणाम नहीं मिला। इस आधार पर उन्होंने सवाल किया कि जब उनका नाम ही सूची में नहीं है, तो वे चुनाव कैसे लड़ेंगे।

तेजस्वी ने आरोप लगाया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के दौरान राज्यभर में व्यापक स्तर पर नामों की कटौती की गई है। उन्होंने दावा किया कि हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 20 से 30 हजार नाम हटाए गए हैं और पूरे बिहार में कुल मिलाकर करीब 65 लाख यानी लगभग 8.5% मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहले चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित सूचनाओं में यह स्पष्ट होता था कि कितने नाम स्थानांतरित किए गए, कितनों की मृत्यु हुई, और कितने नाम डुप्लीकेट पाए गए। लेकिन इस बार जो प्रारूप सूची जारी की गई है, उसमें न तो मतदाताओं का पता दिया गया है, न बूथ संख्या, और न ही ईपीआईसी नंबर, जिससे यह जानना मुश्किल हो गया है कि किन मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।

तेजस्वी यादव ने इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने की बात कही। उन्होंने मांग की कि सर्वोच्च न्यायालय चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह स्पष्ट रूप से यह बताएं कि किस बूथ से किस व्यक्ति का नाम हटाया गया है और इसकी सूची सार्वजनिक रूप से साझा की जाए। इसके साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग से जवाबदेही तय करने और इस पर स्पष्टीकरण मांगे जाने की भी बात रखी। उन्होंने आयोग पर केंद्र सरकार के प्रभाव में काम करने का आरोप लगाते हुए इसे “गोदी आयोग” करार दिया और कहा कि आयोग का यह रवैया लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक संकेत है।

राजद नेता के इन आरोपों पर निर्वाचन आयोग ने तत्काल प्रतिक्रिया दी और तेजस्वी यादव के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा कि तेजस्वी का नाम मतदाता सूची के ड्राफ्ट में मौजूद है और उन्होंने एक मतदान केंद्र की सूची भी जारी की, जिसमें तेजस्वी यादव का नाम 416वें नंबर पर उनकी तस्वीर के साथ दर्ज है। आयोग ने बयान जारी कर कहा, “यह हमारे संज्ञान में आया है कि श्री तेजस्वी यादव ने दावा किया है कि उनका नाम मतदाता सूची के प्रारूप में नहीं है। यह दावा पूर्णतः असत्य और तथ्यात्मक रूप से गलत है। उनका नाम ड्राफ्ट सूची में मौजूद है।”

इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। विपक्ष जहां मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया पर लगातार सवाल खड़ा कर रहा है, वहीं निर्वाचन आयोग और सत्तापक्ष इसे एक जिम्मेदार संस्थान पर दुर्भावनापूर्ण हमला बता रहे हैं। उल्लेखनीय है कि एक अगस्त को बिहार में मतदाता सूची के प्रारूप का प्रकाशन किया गया था, जिसके बाद से विभिन्न दलों ने इसकी पारदर्शिता पर प्रश्न उठाने शुरू कर दिए थे। तेजस्वी यादव के आरोपों के बाद अब यह मामला और भी गंभीर होता नजर आ रहा है।

तेजस्वी ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से न सिर्फ उनका बल्कि राज्य के लाखों गरीब मतदाताओं का नाम जानबूझकर सूची से हटाया गया है। उन्होंने इसे जनविरोधी कदम बताते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के साथ अन्याय है। उन्होंने दोहराया कि वह पहले से ही आगाह कर रहे थे कि चुनाव आयोग गलत दिशा में जा रहा है और अब उनके आरोपों की पुष्टि जनता के सामने है।

हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा तुरंत सबूतों के साथ उनका नाम सार्वजनिक करने के बाद यह स्पष्ट हो गया कि तेजस्वी का नाम वास्तव में मतदाता सूची में मौजूद है। इसके बावजूद विपक्ष द्वारा उठाए गए बड़े पैमाने पर नामों की कटौती के आरोपों ने राज्य की राजनीतिक फिजा को गर्म कर दिया है और यह मामला अभी और गहराने की संभावना लिए हुए है।

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