यूपी में स्वच्छ ऊर्जा का नया युग, गोरखपुर-वाराणसी रेलखंड पर हाइड्रोजन ट्रेन चलेगी

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 के तहत गोरखपुर-वाराणसी के बीच हाइड्रोजन ट्रेन सेवा और उत्कृष्टता केंद्र को मंजूरी दी।

Wed, 10 Dec 2025 14:09:34 - By : Palak Yadav

उत्तर प्रदेश अब स्वच्छ ऊर्जा और हरित परिवहन के क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश ग्रीन हाइड्रोजन नीति 2024 के तहत गोरखपुर और वाराणसी के बीच हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेन सेवा शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इसके लिए IIT BHU और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर में संयुक्त रूप से ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की स्वीकृति दी गई है। यह निर्णय यूपीनेडा द्वारा जारी किया गया और इसका उद्देश्य ऊर्जा संक्रमण को गति देना, अनुसंधान को आगे बढ़ाना और उद्योग सहयोग को मजबूत बनाना है।

इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का मुख्य फोकस ग्रीन हाइड्रोजन आधारित प्रौद्योगिकियों का विकास होगा। इसके अंतर्गत शोध कार्य, ईंधन सेल तकनीक, हाइड्रोजन के सुरक्षित भंडारण, आपूर्ति श्रृंखला, परिवहन और औद्योगिक उपयोग से जुड़े मॉडल विकसित किए जाएंगे। परियोजना का लक्ष्य पूर्वी उत्तर प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी हब के रूप में विकसित करना है।

गोरखपुर वाराणसी रेलखंड पर हाइड्रोजन ट्रेन का संचालन प्रस्तावित

इस महत्वाकांक्षी पहल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा गोरखपुर और वाराणसी के बीच हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेन का संचालन है। रेलवे मंत्रालय के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे इस मॉडल पर काम शुरू हो चुका है। यह ट्रेन न केवल शून्य उत्सर्जन तकनीक का प्रयोग करेगी, बल्कि भविष्य में देशभर में ग्रीन ट्रेन नेटवर्क का आधार भी बन सकती है।

हाइड्रोजन ट्रेनें यूरोप के कई देशों में पहले से चल रही हैं और अब भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ाने वाला है। यह सेवा पूर्वांचल में सार्वजनिक परिवहन की गुणवत्ता को नए स्तर पर ले जाएगी और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

ग्रीन हाइड्रोजन बस सेवा भी शुरू होने की तैयारी

आईआईटी और एमएमएमयूटी के साथ चल रही इस परियोजना के समानांतर UPSRTC भी ग्रीन हाइड्रोजन आधारित बस सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है। यह बस सेवा भी गोरखपुर वाराणसी रूट पर शुरू की जाएगी। इससे शहरों के बीच आवागमन स्वच्छ, किफायती और तकनीकी रूप से उन्नत होगा।

परियोजना की कुल अवसंरचना का लगभग 50 प्रतिशत एमएमएमयूटी गोरखपुर में विकसित होगा। इससे स्थानीय स्तर पर तकनीकी विशेषज्ञता, रोजगार और स्वच्छ ऊर्जा आधारित औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

IIT BHU बनेगा परियोजना का लीड संस्थान

IIT BHU को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का प्रमुख संस्थान नियुक्त किया गया है। इसकी भूमिका शोध नेतृत्व, नीति निर्माण, परियोजना समन्वयन और तकनीकी दिशा तय करने की होगी।
सेंटर के प्रमुख पद इस प्रकार तय किए गए हैं
समन्वयक डॉ प्रीतम सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, सेरामिक इंजीनियरिंग
सह समन्वयक डॉ जे वी तिर्की

स्टार्टअप्स को मिलेगा मजबूत इनक्यूबेशन सपोर्ट

इस सेंटर में एक समर्पित इनक्यूबेशन हब भी स्थापित किया जाएगा। लक्ष्य है आने वाले पांच वर्षों में ग्रीन हाइड्रोजन और क्लीन एनर्जी के क्षेत्र में कम से कम 50 नए स्टार्टअप तैयार करना।
इन स्टार्टअप्स को दिया जाएगा
तकनीकी सहयोग
मेंटोरशिप
प्रयोगशाला सुविधाएं
उद्योग संपर्क
पायलट प्रोजेक्ट विकसित करने का अवसर

इस परियोजना के चलते पूर्वांचल में ग्रीन एनर्जी आधारित उद्योगों की संभावनाएं तेजी से बढ़ेंगी और युवा तकनीकी नवाचार की ओर आकर्षित होंगे।

हरित परिवहन की दिशा में देश की बड़ी छलांग

हाइड्रोजन ट्रेन और बस सेवा शुरू होने के बाद उत्तर प्रदेश भारत के उन प्रमुख राज्यों में शामिल हो जाएगा जो सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रहे हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण को सुरक्षित बनाएगी बल्कि भविष्य की तकनीकों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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