लखनऊ: ऊर्जा मंत्री का बिजली विभाग पर फूटा गुस्सा, कहा मुझे बदनाम करने की सुपारी ली

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने बिजली विभाग पर उन्हें बदनाम करने व निर्देशों की अनदेखी का आरोप लगाया है।

Sat, 26 Jul 2025 00:46:13 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने बिजली विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। मंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि "बिजली विभाग ने मुझे बदनाम करने की सुपारी ले ली है।" उनका यह बयान प्रदेश की ऊर्जा व्यवस्था और प्रशासनिक जवाबदेही को लेकर एक नई बहस को जन्म दे चुका है।

मंत्री शर्मा ने कहा कि पिछले कई महीनों से उनकी सलाहों और निर्देशों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया था कि गर्मी के मौसम में किसी तरह का नया प्रयोग न किया जाए, संविदा कर्मियों को हटाया न जाए और बकायेदारों के कनेक्शन न काटे जाएं, लेकिन इन निर्देशों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। उनका आरोप था कि विभाग के अधिकारी न सिर्फ आदेशों को दरकिनार कर रहे हैं, बल्कि जनता के हितों की अनदेखी करते हुए पूरे गांव की बिजली काटने जैसे तानाशाही निर्णय ले रहे हैं।

ऊर्जा मंत्री ने यह भी दावा किया कि संविदा पर नियुक्त किए जा रहे नए कर्मी एक विशेष राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए हैं, और पुराने अनुभवी कर्मियों को बिना कारण सेवा से हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी नियुक्तियों से विभागीय निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं।

शर्मा ने अफसरों की लापरवाही को उजागर करते हुए कहा, “मैंने मीटिंग में अधिकारियों से स्पष्ट कहा था कि जनता की परेशानी पर संवेदनशीलता दिखाएं, मगर वे फोन तक नहीं उठाते। जब कोई अफसर बात ही नहीं सुनता, तो उनके साथ मीटिंग करने का क्या मतलब?”

उन्होंने आगे कहा कि विभाग ने हाल ही में कई उपभोक्ताओं को भारी-भरकम फर्जी बिल भेजे, जिनमें से एक मामले में उपभोक्ता को ₹72 करोड़ का बिल थमा दिया गया। मंत्री ने कहा कि ये कंप्यूटर की गलतियां नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की गहराई को दिखाते हैं। कई शिकायतें ऐसी भी आई हैं जहां बिल सुधारने के एवज में रिश्वत मांगी गई।

विधानसभा में जवाबदेही की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “मैं जनता का प्रतिनिधि हूं। मुझे विधानसभा में जवाब देना होता है। जब जनता सड़कों पर उतर रही है, धरना दे रही है, तब विभाग की नाकामी को अनदेखा नहीं किया जा सकता।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब से विभाग के भीतर किसी भी निर्देश को मौखिक रूप में नहीं, केवल लिखित रूप में ही स्वीकार किया जाएगा।

ऊर्जा मंत्री के इन तीखे बयानों के बाद उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने इस मुद्दे को तूल देना शुरू कर दिया है और सरकार से स्पष्टीकरण की मांग की है कि जब स्वयं मंत्री ही विभागीय अफसरों पर अविश्वास जता रहे हैं, तो प्रदेश की ऊर्जा व्यवस्था किसके भरोसे चल रही है?

जनता की परेशानी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं। क्या विभागीय फेरबदल होंगे, या मंत्री को ही अपने बयान के लिए सफाई देनी पड़ेगी?

फिलहाल इतना तो तय है कि ऊर्जा मंत्री A. K. शर्मा ने अपने बयानों से बिजली विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। और यह विवाद अभी थमने वाला नहीं।

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