Sat, 02 Aug 2025 10:07:02 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। वाराणसी फील्ड इकाई की टीम ने मोहनसराय अंडरपास पर एक सटीक ऑपरेशन को अंजाम देते हुए अंतरराज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह के मास्टरमाइंड मुकेश मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। पकड़ा गया आरोपी वाराणसी के चौक थाना क्षेत्र के नीलकंठ इलाके का रहने वाला है और पिछले कई वर्षों से ड्रग तस्करी के नेटवर्क को देश के विभिन्न हिस्सों में संचालित कर रहा था।
मुकेश मिश्रा का नेटवर्क सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था। वह हिमाचल प्रदेश के मनाली, बिहार और नेपाल से नशीले पदार्थों की आपूर्ति कर वाराणसी समेत पूर्वांचल के अन्य शहरों में सप्लाई करता था। गिरोह का संचालन अत्यंत संगठित ढंग से किया जाता था, जिसमें डिलीवरी के लिए युवतियों और लड़कों का उपयोग किया जाता था। मुख्य रूप से चरस, गांजा, हफीम और स्मैक जैसे घातक मादक पदार्थों की तस्करी की जाती थी। गिरोह का संचालन एक संगठित अपराध मॉडल की तरह होता था, जिसमें आधुनिक संचार साधनों और ऑनलाइन भुगतान माध्यमों का भी उपयोग होता था।
एसटीएफ वाराणसी फील्ड इकाई के निरीक्षक अनिल कुमार सिंह ने बताया कि नशीले पदार्थों की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए एसटीएफ लगातार ऑपरेशन चला रही है। इसी क्रम में अब तक इस गिरोह से जुड़े पांच बड़े तस्करों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मास्टरमाइंड मुकेश की गिरफ्तारी के लिए कई महीनों से लगातार दबिश दी जा रही थी, लेकिन वह हर बार बच निकलता था। हाल ही में एसटीएफ को पुख्ता सूचना मिली थी कि वह मनाली से प्रयागराज होते हुए वाराणसी आ रहा है। इसी इनपुट के आधार पर मोहनसराय अंडरपास पर घेराबंदी कर उसे पकड़ लिया गया।
पूछताछ में सामने आया कि मुकेश मिश्रा लंबे समय से मनाली में छिपकर रह रहा था और वहीं से हिमाचल के एक सप्लायर तनु से नशीले पदार्थ खरीदता था। इसके बाद वह 'मिठ्ठू' नामक एक डिलीवरी बॉय के जरिए वाराणसी और आसपास के जिलों में माल भेजता था। गिरोह का संचालन पहले ड्रग माफिया देवेंद्र मिश्रा और उसके भाई महेंद्र मिश्रा उर्फ छोटू के हाथ में था, लेकिन उनके जेल जाने के बाद इसकी कमान मुकेश ने संभाल ली थी। गिरोह की वित्तीय लेनदेन प्रणाली भी बेहद सतर्क थी।कुछ भुगतान ऑनलाइन किया जाता था, जबकि कुछ नकद डिलीवरी बॉय के माध्यम से सप्लायर तक पहुंचाया जाता था।
गिरोह की गिरफ्तारी की श्रृंखला जनवरी 2025 से शुरू हुई थी। 28 जनवरी को एसटीएफ ने गिरोह के दो सदस्यों, संतोष कुमार झा, निवासी सुपौल, बिहार और शिखा वर्मा, निवासी कंदवा, चितईपुर, को गिरफ्तार किया था। दोनों के खिलाफ सुल्तानपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बाद 1 मार्च को गिरोह के एक अन्य सदस्य रामबाबू को उस्मानपुरा, जैतपुरा से गिरफ्तार किया गया। इस नेटवर्क की रीढ़ माने जा रहे देवेंद्र और महेंद्र मिश्रा को 3 मई 2025 को पकड़कर गैंगस्टर एक्ट के तहत ड्रग माफिया घोषित कर दिया गया।
एसटीएफ अधिकारियों का कहना है कि गिरोह का नेटवर्क बेहद विस्तृत था और इसे ध्वस्त करने के लिए एक के बाद एक रणनीतिक तरीके से कार्यवाही की जा रही हैं। मुकेश की गिरफ्तारी से गिरोह की गतिविधियों पर बड़ा असर पड़ेगा, लेकिन एजेंसियां अब भी सतर्क हैं और शेष बचे सहयोगियों की तलाश जारी है। वाराणसी में ड्रग तस्करी की इस श्रृंखला को तोड़ना एसटीएफ की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, जिससे शहर को नशे के जाल से मुक्त करने की दिशा में एक मजबूत संदेश गया है।