UPI यूजर्स हो जाएं सावधान: 1 अगस्त से बदल जाएंगे नियम, बैलेंस चेक और AutoPay पर लगेगी सीमा

एनपीसीआई ने यूपीआई उपयोगकर्ताओं के लिए 1 अगस्त 2025 से नए नियम लागू करने का निर्णय लिया है, अब दिन में केवल 50 बार ही बैलेंस चेक कर सकेंगे।

Wed, 30 Jul 2025 12:55:00 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

नई दिल्ली: भारत में डिजिटल भुगतान का चेहरा बदलने वाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) प्रणाली एक नई दिशा में कदम रखने जा रही है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने UPI यूजर्स के लिए 1 अगस्त 2025 से कुछ अहम बदलाव लागू करने का निर्णय लिया है। इन बदलावों का मकसद न केवल डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाना है, बल्कि बढ़ते ट्रांजैक्शन लोड को संतुलित कर प्रणाली की कार्यकुशलता को भी बेहतर बनाना है।

इन नए नियमों के दायरे में UPI से जुड़े बैलेंस चेक और ऑटो डेबिट ट्रांजैक्शन की प्रक्रियाएं प्रमुख रूप से शामिल हैं। NPCI के मुताबिक, ये कदम व्यापक डेटा विश्लेषण और तकनीकी समीक्षा के बाद तय किए गए हैं, ताकि बढ़ते उपयोग के साथ सर्वर पर पड़ रहे भार को घटाया जा सके और सभी यूजर्स को तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय सेवा उपलब्ध कराई जा सके।

अब दिनभर में सिर्फ 50 बार ही चेक कर सकेंगे बैलेंस

UPI के जरिए रोज़ाना होने वाले करोड़ों लेनदेन में से एक बड़ी संख्या उन यूजर्स की होती है जो बार-बार अपना बैंक बैलेंस चेक करते हैं। यह व्यवहार हालांकि देखने में सामान्य लगता है, लेकिन तकनीकी दृष्टिकोण से यह बैंकिंग सर्वरों पर अत्यधिक लोड डालता है। इस स्थिति से निपटने के लिए NPCI ने फैसला लिया है कि 1 अगस्त 2025 से कोई भी UPI यूजर एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैंक बैलेंस चेक कर सकेगा।

यह नियम सभी प्रमुख UPI प्लेटफॉर्म जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm और BHIM ऐप पर लागू होगा। NPCI के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, बार-बार की जाने वाली बैलेंस इंक्वायरी से नेटवर्क पर अनावश्यक दबाव बनता है, जिससे कई बार पेमेंट ट्रांजैक्शन फेल या लेट हो जाते हैं। यह बदलाव विशेष रूप से ऐसे यूजर्स को ध्यान में रखते हुए किया गया है जो तकनीकी अस्थिरता के कारण बार-बार ट्रांजैक्शन रुकने की शिकायत करते हैं।

आम उपभोक्ताओं के लिए 50 बार की सीमा पर्याप्त मानी जा रही है। लेकिन बिजनेस यूजर्स, ई-कॉमर्स डीलर, कैब ऑपरेटर, डिलीवरी एजेंट्स या वे फ्रीलांसर जो एक ही दिन में कई ट्रांजैक्शन करते हैं। उनके लिए यह सीमा कुछ हद तक बाधा उत्पन्न कर सकती है। हालांकि NPCI का कहना है कि आवश्यकता पड़ने पर कारोबारी खातों के लिए इस नियम में कुछ शिथिलता पर विचार किया जा सकता है।

AutoPay ट्रांजैक्शन अब तय समय पर ही होंगे प्रोसेस

दूसरा बड़ा बदलाव AutoPay यानी स्वत: भुगतान से जुड़ा है। अभी तक EMI, सब्सक्रिप्शन फीस (जैसे Netflix, Hotstar), बिजली, पानी, गैस या मोबाइल रिचार्ज जैसे बिल भुगतान किसी भी समय UPI प्लेटफॉर्म के जरिए स्वत: कट जाते थे। लेकिन अब NPCI ने इनके प्रोसेसिंग के लिए विशेष टाइम स्लॉट निर्धारित करने का निर्णय लिया है। यानी, ये भुगतान अब दिन में कुछ विशेष घंटों में ही प्रोसेस किए जाएंगे।

NPCI का कहना है कि इससे लेन-देन की प्रणाली में स्थिरता आएगी और भारी ट्रैफिक के कारण सर्वर लोड या ट्रांजैक्शन फेल जैसी समस्याएं कम होंगी। दिनभर के AutoPay ट्रांजैक्शन को अलग-अलग स्लॉट में विभाजित करने से नेटवर्क पर दबाव को विभाजित किया जा सकेगा, जिससे पेमेंट प्रोसेसिंग तेज और अधिक सटीक होगी।

जानकारी के अनुसार, इन स्लॉट्स को तीन भागों में बांटा जा सकता है। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक, दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक और शाम 6 बजे से 9 बजे तक। हालांकि इस संबंध में अंतिम निर्देश NPCI द्वारा सभी बैंकों और UPI प्लेटफॉर्म को अलग-अलग भेजे जाएंगे, और इन्हें लागू करने की समयसीमा भी दी जाएगी।

यूजर्स को क्या करना चाहिए?

NPCI ने स्पष्ट किया है कि ये दोनों बदलाव स्वचालित रूप से लागू हो जाएंगे और यूजर्स को अलग से कोई सेटिंग बदलने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, उन्हें अपनी भुगतान आदतों में कुछ बदलाव ज़रूर करने होंगे, जैसे अनावश्यक बैलेंस चेक से बचना और AutoPay से जुड़े बिलों की समय-सीमा को समझना।

विशेषज्ञों का मानना है कि ये कदम डिजिटल भुगतान की गति को और अधिक मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक साबित होंगे। नेटवर्क लोड का संतुलन और सुरक्षित प्रोसेसिंग की दिशा में यह बदलाव जरूरी था, क्योंकि वर्तमान में भारत में हर दिन करीब 40 करोड़ से अधिक UPI ट्रांजैक्शन हो रहे हैं। ऐसे में तकनीकी स्थायित्व और गति बनाए रखना बड़ी चुनौती है।

NPCI की यह पहल क्यों अहम है?

UPI को NPCI ने 2016 में लॉन्च किया था और आज यह भारत में डिजिटल इकोनॉमी की रीढ़ बन चुका है। मात्र आठ वर्षों में UPI ने क्रेडिट/डेबिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग जैसे पारंपरिक माध्यमों को पीछे छोड़ते हुए भुगतान का सबसे पसंदीदा और सुलभ विकल्प बना लिया है। ऐसे में सुरक्षा और तकनीकी दक्षता को बनाए रखना आवश्यक हो गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में डिजिटल ट्रांजैक्शन की संख्या और अधिक बढ़ेगी, ऐसे में अगर अभी से UPI के संचालन को सुव्यवस्थित नहीं किया गया, तो आने वाले वर्षों में सिस्टम अस्थिर हो सकता है। NPCI के ये कदम उसी दिशा में एक रणनीतिक प्रयास माने जा रहे हैं।

1 अगस्त 2025 से लागू हो रहे UPI के ये नए नियम न सिर्फ तकनीकी जरूरत हैं, बल्कि एक बड़े डिजिटल परिवर्तन का हिस्सा भी हैं। जहां एक ओर इससे आम यूजर्स को ट्रांजैक्शन फेल या स्लो नेटवर्क जैसी समस्याओं से राहत मिलेगी, वहीं डिजिटल भुगतान को अधिक सुरक्षित और व्यवस्थित भी बनाया जा सकेगा। यूजर्स को इन परिवर्तनों को सकारात्मक रूप में अपनाते हुए अपनी डिजिटल आदतों को थोड़ा व्यवस्थित करने की जरूरत होगी, ताकि आने वाले समय में वे भी एक बेहतर और सुरक्षित डिजिटल भुगतान अनुभव का हिस्सा बन सकें।

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