Sun, 14 Dec 2025 20:33:50 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुपालन में उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत बीएड योग्यता धारी शिक्षकों के लिए छह महीने के ब्रिज कोर्स की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर शुरू कर दी गई है। इस फैसले से प्रदेश भर में कार्यरत करीब 33 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे समय से अपनी नियुक्ति और सेवा की वैधता को लेकर असमंजस की स्थिति में थे।
दरअसल, परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से पांच तक की पढ़ाई के लिए बीएड योग्यता को पूर्व में अमान्य कर दिया गया था। इस निर्णय के बाद बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक प्रभावित हुए थे, जो वर्षों से प्राथमिक कक्षाओं में सेवाएं दे रहे हैं। इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंशुमान सिंह बनाम नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन एवं अन्य प्रकरण में 8 अप्रैल 2024 को महत्वपूर्ण आदेश पारित किया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि वर्तमान में तैनात बीएड योग्यता धारी शिक्षकों को सेवा में बनाए रखने के लिए छह महीने का ब्रिज कोर्स कराना अनिवार्य होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में अब बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) को आवश्यक निर्देश जारी कर दिए हैं। जारी आदेश में कहा गया है कि बीएड योग्यता धारी शिक्षकों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से छह महीने का ब्रिज कोर्स कराया जाएगा। यह कोर्स ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ओडीएल) पद्धति से संचालित होगा, ताकि शिक्षकों को सेवा के साथ-साथ अध्ययन में भी सुविधा मिल सके।
बेसिक शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार इस ब्रिज कोर्स के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और 25 दिसंबर तक सभी पात्र शिक्षकों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से कराया जाना है। निदेशक ने स्पष्ट किया है कि निर्धारित समय सीमा के भीतर जो शिक्षक इस ब्रिज कोर्स को पूरा नहीं करेंगे, उनकी नियुक्ति को अमान्य माना जाएगा। ऐसी स्थिति में इसके लिए संबंधित शिक्षक स्वयं जिम्मेदार होंगे।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार, इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 33 हजार शिक्षक सीधे तौर पर प्रभावित हैं। वहीं, शिक्षकों के बीच कोर्स शुल्क को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। शिक्षकों का कहना है कि इस ब्रिज कोर्स का शुल्क करीब 25 हजार रुपये निर्धारित है, लेकिन यह शुल्क विभाग वहन करेगा या शिक्षकों को स्वयं जमा करना होगा, इस पर अभी तक कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। शिक्षकों का यह भी कहना है कि पूर्व में इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों का शुल्क विभाग द्वारा ही वहन किया जाता रहा है।
हालांकि, ब्रिज कोर्स की शुरुआत को लेकर शिक्षकों में संतोष भी देखा जा रहा है, क्योंकि इससे उनकी नौकरी पर मंडरा रहा संकट काफी हद तक टल गया है। अब सभी की निगाहें विभाग की ओर से शुल्क और अन्य प्रक्रियाओं को लेकर आने वाले स्पष्ट निर्देशों पर टिकी हैं, ताकि समय रहते शिक्षक कोर्स पूरा कर अपनी नियुक्ति को सुरक्षित रख सकें।