Thu, 04 Dec 2025 15:10:49 - By : Tanishka upadhyay
उत्तर प्रदेश में ईको पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले तीन वर्षों में कई बड़े कदम उठाए हैं। पर्यटन विभाग के अनुसार दुधवा राष्ट्रीय उद्यान सहित प्रदेश के प्रमुख ईको पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाओं को विकसित करने के लिए 161 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य न केवल पर्यटकों को बेहतर अनुभव देना है बल्कि राज्य के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों को भी मजबूत करना है।
दुधवा, पीलीभीत, कतर्नियाघाट, अमानगढ़ और सोहगीबरवा के वन क्षेत्र अब देश विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। इन इलाकों में गैंडा, बाघ, बारहसिंघा और घड़ियाल जैसे दुर्लभ वन्यजीव सुरक्षित माहौल में फलफूल रहे हैं। यही कारण है कि यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ईको पर्यटन विकास बोर्ड ने इन स्थलों पर सड़कों के सौंदर्यीकरण, कैफेटेरिया, ईको फ्रेंडली विश्राम स्थल, बर्ड वाचिंग जोन, नेचर ट्रेल और बच्चों के खेलने जैसी सुविधाएं भी विकसित की हैं, जिससे यहां का अनुभव पहले से अधिक सहज और रोचक हो गया है।
पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के अनुसार गुरुवार को विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस मनाया जा रहा है और इसी अवसर पर प्रदेश में वन्यजीवों की बढ़ती संख्या का आंकड़ा जारी किया गया। वर्ष 2022 की वन्यजीव गणना के अनुसार दुधवा क्षेत्र में 65 हजार से अधिक वन्यजीव दर्ज किए गए थे। वहीं कतर्नियाघाट में करीब 12 हजार और बफर जोन में 14 हजार से अधिक वन्यजीव पाए गए थे।
नई गणना के मुताबिक वर्ष 2025 तक दुधवा में वन्यजीवों की संख्या बढ़कर 1.13 लाख से अधिक हो गई है। कतर्नियाघाट प्रभाग में यह संख्या 17 हजार से अधिक और बफर जोन में लगभग 15 हजार तक पहुंच गई है। गुलदार और तेंदुओं की संख्या 92 से बढ़कर 275 हो गई है, जबकि गैंडों की संख्या 49 से बढ़कर 66 हो गई है। इनमें से कई प्रजातियां देशभर में संकटग्रस्त श्रेणी में आती हैं और इनकी संख्या बढ़ना राज्य के संरक्षण प्रयासों की बड़ी सफलता माना जा रहा है।
प्रदेश सरकार का मानना है कि बेहतर सुविधाएं और सुरक्षित वातावरण दोनों को मिलाकर ईको पर्यटन न केवल अर्थव्यवस्था को गति देगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए वन्यजीव संरक्षण का मजबूत आधार भी तैयार करेगा।