मानव तस्करी और देह व्यापार का भयावह खुलासा, उज्बेक महिला की आपबीती

नौकरी का झांसा देकर उज्बेकिस्तान से लाई गई महिला को भारत में देह व्यापार में धकेला, अंतरराष्ट्रीय रैकेट का पर्दाफाश

Sat, 01 Nov 2025 13:28:17 - By : Garima Mishra

मानव तस्करी और अंतरराष्ट्रीय सेक्स रैकेट के गहराते जाल की एक भयावह सच्चाई सामने आई है। उज्बेकिस्तान की एक महिला ने बताया कि नौकरी के नाम पर उसे सोशल मीडिया के जरिए झांसा देकर भारत लाया गया और यहां पहुंचने के बाद जबरन देह व्यापार में धकेल दिया गया। महिला ने बताया कि वह पहले दुबई पहुंची, जहां से उसे नेपाल के रास्ते भारत लाया गया। उसके सभी दस्तावेज छीन लिए गए और विरोध करने पर उसे बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। शरीर पर जलाने के निशान आज भी उसके जख्मों की कहानी बयां करते हैं।

महिला ने बताया कि उसे धमकी दी गई कि यदि उसने बात नहीं मानी तो उज्बेकिस्तान में उसकी मां को जान से मार दिया जाएगा। उसे पीरियड्स के दौरान भी काम करने पर मजबूर किया जाता था और कोकीन व एमडीएमए जैसे ड्रग्स दिए जाते थे ताकि वह भाग न सके। कई बार गर्भवती होने पर जबरन अबॉर्शन करवाया गया। उसने खुलासा किया कि कई विदेशी महिलाएं भारत में इस नेटवर्क का हिस्सा हैं जो दुबई, नेपाल, थाइलैंड, रूस और बांग्लादेश जैसे देशों से लाई जाती हैं। पुलिस के अनुसार बीते महीनों में भारत के कई राज्यों में उज्बेकिस्तान, थाइलैंड, केन्या, रूस और नेपाल की महिलाएं विभिन्न छापों में पकड़ी गई हैं।

दिल्ली, देहरादून और पश्चिम बंगाल में चल रही जांच से पता चला है कि इस पूरे रैकेट में कई परतें हैं। विदेशी एजेंट्स इन महिलाओं को मॉडलिंग या नौकरी का लालच देकर भारत बुलाते हैं, फिर स्थानीय एजेंट्स और होटल मालिकों से मिलकर उन्हें देह व्यापार में धकेल देते हैं। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ विदेशी महिलाएं अब खुद बॉस बन चुकी हैं और लड़कियों की सप्लाई कर रही हैं। अख्मेदोवो गुलसुनोय और अजीज तनरीकुल्येवा जैसी महिलाएं इस धंधे की मुख्य सरगना मानी जाती हैं। इनके पास से कई विदेशी पासपोर्ट और फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं।

एनजीओ और कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, यह नेटवर्क न केवल महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर रहा है बल्कि मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन भी है। कोलकाता की एनजीओ पूर्णता की सोनी थॉमस ने बताया कि जब महिलाएं मना करती हैं तो उन्हें बंद कमरों में भूखा रखकर प्रताड़ित किया जाता है, जिससे वे मानसिक रूप से टूट जाएं और हर आदेश मानने को मजबूर हो जाएं। वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र बब्बर के अनुसार, भारत में मानव तस्करी और जबरन प्रॉस्टिट्यूशन के मामलों में उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। यह मामला केवल एक महिला की त्रासदी नहीं बल्कि उस काली दुनिया की झलक है जो आधुनिक समाज की आड़ में फल-फूल रही है।

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