Mon, 07 Jul 2025 11:45:39 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शैक्षिक महकमे में वर्षों से चल रहे फर्जीवाड़े और वित्तीय अनियमितताओं का पर्दाफाश करते हुए सतर्कता अधिष्ठान वाराणसी सेक्टर की पुलिस ने शनिवार की देर रात एक बड़ी कार्रवाई की। शैक्षिक सत्र 2015-16 और 2016-17 में की गई शिक्षकों और लिपिकों की फर्जी नियुक्तियों, शासकीय गबन, वित्तीय अनियमितता और कूटरचित दस्तावेजों के प्रयोग को लेकर तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) हरिकेश यादव, तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रामटहल, छह विद्यालयों के प्रबंधकों, प्रधानाध्यापकों और सहायक शिक्षकों सहित कुल 18 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
यह मामला तब तूल पकड़ा जब 2021 में सतर्कता अधिष्ठान की वाराणसी इकाई को इन नियुक्तियों की जांच सौंपी गई। लगातार पड़ताल के बाद इन नियुक्तियों में गंभीर धांधली की पुष्टि हुई। अधिष्ठान की निरीक्षक सुनीता सिंह ने बताया कि जांच में यह सामने आया कि अभ्यर्थियों ने अपूर्ण अर्हता और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नियुक्तियां प्राप्त की थीं। इन नियुक्तियों में चयन प्रक्रिया को दरकिनार कर सीधे नियुक्ति आदेश जारी कर दिए गए थे, जिससे न सिर्फ नियमों की अनदेखी हुई बल्कि सरकार को लाखों रुपये की चपत भी लगी।
जांच में यह सामने आया कि श्रीविश्वकर्मा पूर्व माध्यमिक विद्यालय रौनाखुर्द बेला में प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक की नियुक्ति में तत्कालीन बीएसए हरिकेश यादव और बीईओ रामटहल की भूमिका संदिग्ध पाई गई। दोनों अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी करते हुए योग्यता से कम वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति को मंजूरी दी। विद्यालय के प्रबंधक काशीनाथ विश्वकर्मा पर भी साजिश में शामिल होने का आरोप है।
इसी प्रकार ग्राम सेवा मंडल जूनियर हाईस्कूल, नई बस्ती पांडेयपुर में भी नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। इस मामले में प्रधानाध्यापक संजय कुमार जायसवाल, प्रबंधक गणेश यादव, नामित सदस्य संजय यादव, खंड शिक्षाधिकारी अरविंद कुमार यादव और सभाजीत सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जांच रिपोर्ट में उल्लेख है कि इन सभी ने मिलकर नियुक्ति प्रक्रिया में भारी अनियमितता की।
श्रीदुर्गेश्वरी पूर्व माध्यमिक विद्यालय, असवारी कुंआर बाजार में भी फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। यहां तत्कालीन खंड शिक्षाधिकारी दशाश्वमेध जोन बृजेश कुमार राय, प्रधानाध्यापक मीला यादव, सहायक अध्यापक चित्रा बोस और मंजू कुमारी यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। खास तौर पर चित्रा बोस और मंजू कुमारी की नियुक्ति संदिग्ध प्रमाणपत्रों और अनुभव पत्रों के आधार पर की गई थी, जिससे मामले में गहराई से साजिश की बू आती है।
बालिका शिक्षा निकेतन पांडेयपुर में प्रधानाध्यापक शीतला और सहायक अध्यापक राकेश के खिलाफ भी गंभीर आरोप सामने आए हैं। जांच में पाया गया कि शीतला का अनुभव प्रमाणपत्र नियमों के विरुद्ध तैयार किया गया था। इस प्रकरण में नामित सदस्य प्रेम शंकर लाल श्रीवास्तव को भी आरोपी बनाया गया है, जिन्होंने नियुक्ति में सहमति प्रदान की थी।
इसी क्रम में बड़ागांव के साधोगंज स्थित श्रीजगनारायण तिवारी स्कूल में भी फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। यहां के प्रधानाध्यापक सत्य कुमार त्रिपाठी, प्रबंध समिति सदस्य ओमप्रकाश चौबे और खंड शिक्षाधिकारी सुबाष गुप्ता पर नियमों की अनदेखी और शासकीय धन के दुरुपयोग का आरोप है।
सतर्कता अधिष्ठान का कहना है कि सभी मामलों की विवेचना गंभीरता से की जा रही है और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। प्राथमिक जांच के आधार पर इन मामलों में न केवल शैक्षणिक संस्थानों की छवि को आघात पहुंचा है, बल्कि सरकारी पदों और शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता भी दांव पर लगी है। इन नियुक्तियों में कई वर्षों तक वेतन भुगतान भी हुआ, जिससे सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
प्रशासन का कहना है कि मामले में अन्य जिम्मेदारों की भी भूमिका की जांच की जा रही है और जल्द ही चार्जशीट दाखिल कर कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग के इस व्यापक फर्जीवाड़े ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इतनी बड़ी अनियमितताएं लंबे समय तक कैसे अनदेखी रहीं और किसके संरक्षण में ये नियुक्तियां होती रहीं।