Fri, 07 Nov 2025 10:45:07 - By : Garima Mishra
वाराणसी में अन्न और धन की देवी मां अन्नपूर्णा का प्रसिद्ध 17 दिवसीय महाव्रत अगहन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 10 नवंबर से आरंभ होगा। इस पवित्र व्रत का समापन अगहन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी 9 दिसंबर को किया जाएगा। उद्यापन के दिन माता का विशेष श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें धान की बालियों से देवी का अलौकिक रूप सजाया जाएगा। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आज भी पूर्वांचल के किसान बड़ी श्रद्धा के साथ अपनी धान की बालियां काशी भेजते हैं ताकि वे देवी अन्नपूर्णा के श्रृंगार में उपयोग हो सकें।
मां अन्नपूर्णा का यह महाव्रत वाराणसी की धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। माना जाता है कि यह व्रत 17 वर्ष, 17 महीने और 17 दिन का होता है, लेकिन हर वर्ष भक्तजन 17 दिनों का यह विशेष अनुष्ठान करते हैं। परंपरा के अनुसार, व्रत के पहले दिन प्रातः अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वयं अपने हाथों से भक्तों को 17 गांठों वाला धागा प्रदान करते हैं। महिलाएं इस धागे को बाएं हाथ में और पुरुष दाएं हाथ में धारण करते हैं। इस व्रत के दौरान अन्न का सेवन पूर्ण रूप से वर्जित रहता है, और भक्त केवल एक समय फलाहार करते हैं, वह भी बिना नमक का।
महंत शंकर पुरी ने बताया कि यह व्रत केवल उपवास का प्रतीक नहीं बल्कि त्याग, श्रद्धा और आत्मसंयम का प्रतीक भी है। श्रद्धालु पूरे 17 दिनों तक मां अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं और विशेष भजन, कीर्तन और आरती में शामिल होते हैं। माना जाता है कि इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को जीवन में अन्न, धन और ऐश्वर्य की कभी कमी नहीं होती। भक्तों का विश्वास है कि मां अन्नपूर्णा का यह व्रत न केवल भौतिक समृद्धि देता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक बल भी प्रदान करता है।
व्रत के उद्यापन के दिन मंदिर को धान की बालियों से सजाया जाता है। मां अन्नपूर्णा का गर्भगृह और पूरा मंदिर परिसर सुनहरे धान के गुच्छों से अलंकृत होता है। उस दिन मां को अर्पित धान की बालियों को प्रसाद स्वरूप भक्तों में वितरित किया जाता है। यह परंपरा इस विश्वास पर आधारित है कि जिस धान की बाली को माता के चरणों में चढ़ाया जाता है, वह समृद्धि का प्रतीक बन जाती है। किसान प्रसाद स्वरूप मिली बालियों को अपनी अगली फसल में मिलाते हैं ताकि उनकी फसल में वृद्धि हो और वर्ष भर अन्न और धन की कमी न रहे।
महंत शंकर पुरी ने कहा कि माता अन्नपूर्णा का व्रत और पूजन व्यक्ति को दैविक, भौतिक और आत्मिक सुख प्रदान करता है। वाराणसी के इस ऐतिहासिक मंदिर में हर वर्ष हजारों श्रद्धालु दूर-दराज के गांवों से पहुंचते हैं और इस व्रत का संकल्प लेकर मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। देवी के प्रति किसानों और भक्तों की अटूट आस्था इस बात का प्रमाण है कि अन्न केवल भोजन नहीं, बल्कि जीवन का आधार है और मां अन्नपूर्णा इस जीवन का पोषण करने वाली देवी हैं।