Wed, 26 Nov 2025 15:20:55 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी में आशा और संगिनी कर्मियों ने बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन के आह्वान पर आयोजित इस विरोध कार्यक्रम में जिलेभर से दो सौ से अधिक आशा कर्मी शामिल हुईं। लंबे समय से भुगतान न मिलने और स्वास्थ्य कार्यक्रमों में किए गए कार्यों के प्रतिफल न मिलने पर कर्मियों ने तीखी नाराजगी व्यक्त की। सीएमओ कार्यालय परिसर में पुलिस बल तैनात रहा, जबकि आशा कर्मी लगातार इस मांग पर अड़ी रहीं कि उन्हें सीधे सीएमओ से मुलाकात कर अपनी समस्याएं बताने और ज्ञापन सौंपने दिया जाए। यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं तो 15 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की जाएगी।
यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष संगीता गिरी ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि सरकार आशा और संगिनी कर्मियों को मुफ्त का गुलाम समझ रही है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2025 के कई महीनों का आधार भुगतान, राज्य प्रदत्त राशि, अनुतोष भुगतान, प्रोत्साहन राशि और राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियानों में किए गए कार्यों का प्रतिफल लंबे समय से बकाया है। इसके बावजूद न तो शासन स्तर पर सुनवाई हुई और न ही किसी प्रशासनिक अधिकारी ने समस्या समाधान की दिशा में कदम उठाया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य अभियानों की रीढ़ कहे जाने वाले आशा कर्मियों के साथ इस प्रकार का व्यवहार अन्याय है और यह प्रदेश भर में कार्यरत लाखों कर्मियों का मनोबल तोड़ने जैसा है।
संगीता गिरी ने प्रधानमंत्री की आरोग्य भारत योजना के अंतर्गत बनाए गए गोल्डन आयुष्मान कार्ड और ABHA ID के कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आशा और संगिनी कर्मियों ने इस योजना में पूरे प्रदेश में मिलकर लगभग दो सौ पच्चीस करोड़ रुपये का योगदान दिया, लेकिन इसके बदले उन्हें आज तक एक रुपया भी भुगतान नहीं हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कार्य के दौरान डीएम, सीएमओ और अन्य अधिकारियों ने आशा कर्मियों पर अत्यधिक दबाव बनाया और कई बार अपमानजनक व्यवहार भी किया। यूनियन का कहना है कि इस स्तर का उत्पीड़न किसी अन्य विभाग में देखने को नहीं मिलता।
संगठन ने यह भी बताया कि छह अक्टूबर को लखनऊ में बीस हजार से अधिक आशा कर्मियों ने विशाल प्रदर्शन किया था जिसमें सभी बकाया भुगतान तुरंत करने, न्यूनतम वेतन लागू करने, ईपीएफ, ग्रेच्युटी, ईएसआई, मातृत्व अवकाश और स्वास्थ्य बीमा जैसे श्रम अधिकार उपलब्ध कराने की मांग उठाई गई थी। कार्य सीमा तय करने और सरकार के साथ त्रिपक्षीय वार्ता आयोजित करने की मांग भी रखी गई थी। लेकिन आशा वर्कर्स यूनियन का कहना है कि सरकार ने न तो कोई वार्ता बुलायी और न ही भुगतान की दिशा में कोई कदम बढ़ाया। उलटे कई स्थानों पर आंदोलन को दबाने और डराने की कोशिशें की गईं जिससे आशा कर्मियों में आक्रोश और बढ़ गया है।
प्रदर्शन में मौजूद आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि वे स्वास्थ्य सेवाओं की प्राथमिक कड़ी हैं और गांवों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने में दिन रात मेहनत करती हैं। इसके बावजूद उन्हें उनके काम का उचित मूल्य और मान्यता नहीं मिल रही है। आशा कर्मियों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी आवाज को अनसुना किया गया तो 15 दिसंबर से पूरे जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर इसका व्यापक प्रभाव दिखाई देगा। यूनियन ने कहा कि यदि सरकार समय रहते समाधान नहीं निकालती तो यह आंदोलन राज्यभर में और व्यापक रूप धारण करेगा।