Sat, 13 Sep 2025 13:01:25 - By : Garima Mishra
वाराणसी में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो अदालत ने भ्रष्टाचार के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्वच्छता और सहायक सेवाओं विभाग में कार्यरत वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार को दोषी करार देते हुए पांच साल की कठोर कैद और एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया है। यह फैसला शुक्रवार 12 सितंबर 2025 को सुनाया गया। मामला वर्ष 2016 से जुड़ा हुआ है और लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद यह निर्णय आया है।
सीबीआई ने इस मामले में दो जून 2016 को प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोप था कि राजेश कुमार ने शिकायतकर्ता के पिता स्वर्गीय कल्लू के मृत्यु लाभ की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए घूस की मांग की थी। कल्लू बीएचयू में स्वीपर पद पर कार्यरत थे और नौकरी के दौरान ही उनका निधन हो गया था। नियमानुसार सेवा के दौरान मृत्यु होने पर परिवार को मृत्यु लाभ और अन्य सुविधाएं मिलनी होती हैं। लेकिन आरोप था कि आरोपी कर्मचारी ने यह लाभ दिलाने के नाम पर शिकायतकर्ता से 75 हजार रुपये रिश्वत की मांग की।
शिकायत दर्ज होने के बाद सीबीआई ने आरोपी को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। इस दौरान आरोपी राजेश कुमार शिकायतकर्ता से 30 हजार रुपये रिश्वत की राशि लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। मौके पर ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया और रिश्वत की रकम भी बरामद हुई। इसके बाद जांच एजेंसी ने 30 जून 2016 को आरोप पत्र दाखिल किया और ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हुई।
लगभग नौ साल तक चले इस मामले की सुनवाई में सीबीआई ने पर्याप्त साक्ष्य प्रस्तुत किए, जिनके आधार पर अदालत ने राजेश कुमार को दोषी पाया। न्यायालय ने कहा कि सरकारी सेवा में रहकर इस तरह की भ्रष्टाचारपूर्ण गतिविधि गंभीर अपराध है और इससे न केवल पीड़ित परिवार का नुकसान हुआ बल्कि संस्थान की छवि भी धूमिल हुई। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के मामलों में कठोर सजा ही समाज में निवारक प्रभाव डाल सकती है।
इस फैसले के साथ ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई को मजबूती मिली है। विश्वविद्यालय से जुड़े लोग और शहर के नागरिक इस मामले को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि न्यायालय ने लंबी प्रक्रिया के बाद सही संदेश दिया है। वहीं, आरोपी को दोषी ठहराए जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर भी यह दबाव बना है कि भविष्य में इस तरह की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए और संस्थान की पारदर्शिता बनाए रखी जाए।