Mon, 08 Dec 2025 08:40:44 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शहर में साइबर अपराधियों की नई चालबाज़ी का एक बड़ा मामला सामने आया है। सिगरा थाने में 22 लाख रुपये के साइबर फ्रॉड का मुकदमा दर्ज हुआ है, जिसमें वाराणसी में कारोबार कर रहे और मूलतः आज़मगढ़ के लालपुर निवासी सूर्यकांत साहू ठगी का शिकार बने हैं। पीड़ित इससे पहले साइबर क्राइम थाने और राष्ट्रीय साइबर पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज करा चुके थे, लेकिन कार्रवाई न दिखने पर उन्होंने सीधा सिगरा थाने में मामला दर्ज कराया।
सूर्यकांत साहू ने पुलिस को बताया कि वे लंबे समय से ‘24 कैरेट गेम’ नामक ऑनलाइन गेम खेल रहे थे। शुरुआती दिनों में उन्हें छोटे-मोटे इनाम मिलते रहे, जिससे गेम पर भरोसा बढ़ता गया। इसी भरोसे का फायदा उठाकर ठगों ने उन्हें अधिक मुनाफे के नाम पर धीरे-धीरे बड़ा निवेश करने के लिए उकसाया। सालभर के भीतर पीड़ित ने अलग-अलग किश्तों में कुल 22 लाख रुपये गेम में डाल दिए।
उन्होंने बताया कि निवेश बढ़ते ही उनके अकाउंट में भारी मुनाफा दिखने लगा। लेकिन जैसे ही उन्होंने लाभ निकालने की कोशिश की, सिस्टम ने उनसे और पैसे जमा करने की मांग की। लगातार डिमांड और तकनीकी अड़चनों से उन्हें शक हुआ और जांच की तो पता चला कि पूरा प्लेटफॉर्म एक ठगी गैंग द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसके जाल में कई लोग फंस चुके हैं।
सूर्यकांत ने 24 अक्टूबर को साइबर क्राइम नेशनल पोर्टल और साइबर क्राइम थाना वाराणसी में शिकायत दर्ज कराई थी। परन्तु जब कार्रवाई में देरी दिखाई दी, तो उन्होंने सिगरा थाने का रुख किया, जहां अब औपचारिक रूप से FIR दर्ज की गई है।
सिगरा थाना प्रभारी संजय कुमार मिश्रा ने बताया कि पीड़ित द्वारा दी गई तहरीर पर गंभीरता से कार्रवाई की गई। मामले में बीएनएस की धारा 318(4) एवं आईटी एक्ट की धारा 66D के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस के अनुसार, साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से पैसे भेजे गए खातों, डिजिटल ट्रांजैक्शन्स और गेम ऑपरेट करने वाले सर्वर की गहराई से जांच की जा रही है।
उन्होंने बताया कि “हमारी टीम साइबर अपराधियों की पहचान के लिए तेजी से काम कर रही है। जल्द ही इस फ्रॉड में शामिल जालसाजों को पकड़ा जाएगा।”
यह मामला ऑनलाइन गेम्स में निवेश और मुनाफे के छलावे का एक खतरनाक उदाहरण बन गया है। साइबर सेल का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर मुनाफा दोगुना-तिगुना करने का झांसा देकर ठगी के कई मामले सामने आ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे ऐप्स और वेबसाइट्स पर पैसा लगाने से पहले उनकी वैधता और कंपनी का रजिस्ट्रेशन जरूर जांचना चाहिए।