Thu, 04 Sep 2025 11:15:12 - By : Garima Mishra
वाराणसी में बुधवार को दीवानी न्यायालय परिसर उस समय तनाव और अफरा तफरी का केंद्र बन गया जब अधिवक्ताओं ने तीन आरोपियों पर हमला कर दिया। ये तीनों आरोपी आदमपुर थाना क्षेत्र की एक किशोरी के कथित धर्मांतरण मामले में गिरफ्तार किए गए थे और निर्धारित तिथि पर उन्हें अदालत में पेश किया जा रहा था। जैसे ही पुलिसकर्मी आरोपियों को कोर्ट परिसर में लेकर पहुंचे, वहां मौजूद अधिवक्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते भीड़ ने आरोपियों को घेर लिया। आरोपियों को दौड़ा दौड़ाकर पीटा गया जिससे पूरे परिसर में अफरातफरी का माहौल बन गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार अधिवक्ताओं का गुस्सा इस कदर बढ़ा कि कई लोग लगातार आरोपियों के पीछे दौड़ते रहे और उन्हें मारते रहे। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने बीच बचाव करने की कोशिश की लेकिन हालात तेजी से बिगड़ गए। पुलिस के लिए भीड़ को नियंत्रित करना बेहद मुश्किल हो गया। काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने आरोपियों को किसी तरह भीड़ से छुड़ाया और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। घटना के बाद तीनों आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम ने अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अदालत एक संवेदनशील और सुरक्षित स्थान माना जाता है जहां न्यायिक कार्यवाही निर्बाध रूप से होनी चाहिए। लेकिन इस तरह की घटनाएं न केवल न्यायिक माहौल को प्रभावित करती हैं बल्कि कानून व्यवस्था पर भी गहरा असर डालती हैं। अधिवक्ताओं की इस कार्रवाई को लेकर अब प्रशासनिक और कानूनी हलकों में चर्चा तेज हो गई है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत परिसर में इस तरह का हंगामा न्याय की गरिमा को ठेस पहुंचाता है और सुरक्षा को लेकर नए सिरे से व्यवस्था पर विचार करने की आवश्यकता है।
फिलहाल पुलिस और प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है लेकिन यह साफ है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की सख्त जरूरत है। यह भी देखा जा रहा है कि अदालत परिसर में बढ़ती भीड़ और संवेदनशील मामलों की सुनवाई के दौरान व्यवस्था को बनाए रखना कितना कठिन हो गया है। इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि अदालतों की सुरक्षा को लेकर एक ठोस और सख्त व्यवस्था बनानी होगी ताकि न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित न हो।