वाराणसी: मानव तस्करी-बच्चा चोरी में 7 को उम्रकैद, अदालत का ऐतिहासिक फैसला।

वाराणसी में मानव तस्करी-बच्चा चोरी के गंभीर मामले में 7 दोषियों को उम्रकैद व 15 हजार जुर्माना, कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला।

Tue, 25 Nov 2025 10:45:58 - By : Shriti Chatterjee

वाराणसी में मानव तस्करी और बच्चा चोरी के गंभीर मामले में अदालत ने एक कड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। भेलूपुर थाना क्षेत्र में 16 मई 2023 को सामने आए मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फास्ट ट्रैक प्रथम के न्यायाधीश कुलदीप सिंह की अदालत ने दो महिलाओं शिखा और सुनीता देवी सहित सात दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई और प्रत्येक पर पंद्रह हजार रुपये का जुर्माना लगाया। यह मामला उस समय सामने आया था जब सामने घाट लंका निवासी संजय ने अपने चार साल के बेटे के गायब होने की सूचना पुलिस को दी थी। पिता ने बताया था कि वह अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रविंद्रपुरी कॉलोनी के पास डिवाइडर पर मच्छरदानी लगाकर सो रहा था और सुबह उठने पर बच्चा गायब मिला। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की तो पता चला कि एक स्कॉर्पियो में सवार लोग बच्चे को सोते समय उठा कर ले गए थे। मामले की गहराई से जांच की गई तो यह केवल अपहरण का मामला नहीं रहा बल्कि बच्चों को चोरी कर दूसरे राज्यों में बेचने और मानव तस्करी का संगठित नेटवर्क सामने आया।

पुलिस ने सबसे पहले स्कॉर्पियो चालक मंडुवाडीह निवासी संतोष और उसके नाबालिग सहयोगी को गिरफ्तार किया और उनकी निशानदेही पर झारखंड में छापा मारकर रविंद्रपुरी से लापता बच्चे सहित चार मासूमों को बरामद किया। इसके अलावा तीन और बच्चे मिले जिनमें एक प्रयागराज का बच्चा भी शामिल था। सभी बच्चों को भेलूपुर पुलिस को सौंपा गया। जांच पूरी होने पर कुल सोलह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से प्रभावी पैरवी की गई और यही कारण रहा कि अदालत ने 21 नवंबर को आरोप तय कर दिए थे और 24 नवंबर को सजा सुनाने की तिथि निर्धारित की थी।

साक्ष्यों की कमी के कारण नौ आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया। इसके साथ ही इसी मामले में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट ने एक नाबालिग आरोपी को दस साल की सजा सुनाई और उस पर छह हजार रुपये का जुर्माना लगाया। फैसला सुनाते समय अदालत ने कहा कि आरोपी की उम्र भले ही पन्द्रह साल है लेकिन उसकी मानसिकता और अपराध में संलिप्तता वयस्कों जैसी है इसलिए उसके खिलाफ कठोर सजा आवश्यक है। यह नाबालिग मंडुवाडीह थाना क्षेत्र के शिवदासपुर का रहने वाला है और उसे बाल सुधार गृह भेजा गया है। उसे संतोष के साथ ही गिरफ्तार किया गया था।

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि मानव तस्करी का यह गिरोह झारखंड, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैला था। रविंद्रपुरी से उठाए गए बच्चे को पहले दो दिन तक लोहता में सुनीता देवी के यहां रखा गया था और फिर वहां से उसे झारखंड भेजा गया। गिरोह फर्जी कागजात तैयार करवाने के लिए झारखंड के कोडरमा स्थित अस्पताल से नकली जन्म प्रमाण पत्र बनवाता था। इस पूरे नेटवर्क का काम बच्चों को उठाना, उन्हें छिपाना, फर्जी पहचान दिलाना और फिर दूसरे राज्यों में बेचना था। अभियोजन का दावा है कि बच्चों से जुड़े मानव तस्करी के मामले में उम्रकैद की सजा शायद पहली बार सुनाई गई है। कैंट, चेतगंज और अन्य इलाकों से जुड़े इसी तरह के कई मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं और उनका ट्रायल जारी है। उम्मीद की जा रही है कि इन मामलों में भी अदालत जल्द आरोप तय करेगी और आगे की सुनवाई शुरू होगी।

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