Fri, 05 Dec 2025 14:51:50 - By : Palak Yadav
वाराणसी में साइबर अपराधियों ने एक महिला को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर दस लाख रुपये की ठगी कर ली. आरोपियों ने अपने आप को सुरक्षा एजेंसियों का अधिकारी बताकर पुलवामा हमले का नाम लिया और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा एक झूठा आरोप लगाते हुए महिला को लगातार दबाव में रखा. ठगों ने वीडियो काल के माध्यम से खुद को पुलिस वर्दी में दिखाया और दावा किया कि पीड़िता का नाम सात करोड़ रुपये के लेनदेन से जुड़े मामले में आया है. उन्होंने कहा कि इसमें से सत्तर लाख रुपये महिला ने अपने पास रखे हैं और इसी आधार पर उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता है. अचानक आए इस भय ने पीड़िता को मानसिक रूप से इतना विचलित कर दिया कि वह लगातार निर्देशों का पालन करती रही और हर आधे घंटे में सुरक्षा की पुष्टि करने के लिए संदेश भेजने को भी कहा गया.
घटना संजय अपार्टमेंट काटन मिल की रहने वाली डॉ. अल्पना राय चौधुरी के साथ हुई. एक नवंबर को आए वीडियो काल में खुद को लखनऊ एटीएस का इंस्पेक्टर बताने वाले व्यक्ति ने उन्हे चुप रहने की चेतावनी दी और कहा कि यदि यह जानकारी किसी को दी गई तो उनके परिजन भी गिरफ्त में आ सकते हैं. दो दिनों तक अलग अलग नामों से कॉल करने वाले आरोपियों ने पुलिस अधिकारी बनकर बैंक खातों की जांच के नाम पर महिला से उनकी वित्तीय जानकारी हासिल कर ली. डर के चलते उन्होंने पहले पांच हजार रुपये आरोपियों के बताए खाते में भेजे. चार नवंबर को फिर कॉल आया और इस बार महिला को दस लाख रुपये अलग अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए गए.
जब ठगों ने और धनराशि की मांग शुरू की तो अल्पना ने भय और संदेह के बीच अपने परिजनों को घटना की जानकारी दी. परिवार ने तत्काल उन्हें समझाया कि यह पूरी तरह साइबर ठगी है और फिर ऑनलाइन साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई. इसके बाद जैतपुरा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ और पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है. यह घटना बताती है कि साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट जैसे नए तरीकों का उपयोग कर रहे हैं और लोगों को मानसिक दबाव में डालकर बड़ी रकम हड़पने का प्रयास कर रहे हैं. पुलिस ने सभी नागरिकों से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध कॉल पर विश्वास न करें और किसी भी अधिकारी के नाम पर धनराशि की मांग होने पर तुरंत शिकायत दर्ज कराएं.