Sun, 21 Sep 2025 10:38:03 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी: आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के अवसर पर सोमवार को काशी के 84 घाटों पर आस्था का सागर उमड़ पड़ा। सर्व पितृ अमावस्या के इस पावन दिन पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा के तट पर अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान कर उन्हें विदाई दी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पितृपक्ष की पूर्णाहुति होती है और ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पिछले चौदह दिनों में ही आठ लाख से अधिक लोगों ने काशी पहुंचकर श्राद्ध कर्म पूरे किए। इनमें देशभर के अलावा विदेशों से भी लोग शामिल हुए जिन्होंने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए गंगा में स्नान और विधिवत कर्मकांड किया। सर्व पितृ विसर्जन की तिथि होने के कारण सुबह से ही घाटों पर भीड़ बढ़ने लगी और दिन चढ़ते चढ़ते यह संख्या लाखों में पहुंच गई।
दशाश्वमेध घाट, शीतला घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, अस्सी घाट, तुलसी घाट, केदार घाट, पंचगंगा घाट, चौकी घाट, पांडेय घाट, रविदास घाट और पिशाच मोचन कुंड जैसे प्रमुख स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें दिखीं। गंगा की धारा में डुबकी लगाने के बाद लोगों ने पंडितों के साथ विधि विधान से तर्पण, त्रिपिंडी श्राद्ध और पिंडदान संपन्न किया। वैदिक मंत्रोच्चार और आहुति के बीच वातावरण पूरी तरह धार्मिक भावनाओं से सराबोर रहा।
पंडितों के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या को विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह दिन उन सभी पितरों को समर्पित होता है जिनका श्राद्ध पखवाड़े भर की अलग-अलग तिथियों पर नहीं हो पाया। इस दिन किया गया तर्पण और पिंडदान सभी पितरों को समर्पित माना जाता है। श्रद्धालुओं ने ब्राह्मण भोज और दान के माध्यम से भी पुण्य अर्जित किया।
प्रशासन की ओर से सुरक्षा और सुविधा के लिए घाटों पर अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई थी। नगर निगम ने घाटों पर सफाई और प्रकाश की विशेष व्यवस्था की, वहीं एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें भी मुस्तैद रहीं। भीड़ के बावजूद वातावरण अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा।