वाराणसी: दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल, 51 फर्म सील, 12 मेडिकल पर दर्ज हुई FIR

वाराणसी में दवाओं की खराब गुणवत्ता पर ड्रग विभाग की बड़ी कार्रवाई, 51 फर्म सील की गईं और 12 पर एफआईआर के आदेश दिए गए।

Sat, 15 Nov 2025 19:44:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी/रामनगर: जिले में बुखार, खांसी और सांस संबंधी सामान्य उपयोग की दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। ड्रग विभाग की लगातार जारी जांच के दौरान कई प्रतिष्ठानों से उठाए गए दवाओं के सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर पाए। इसके बाद विभाग ने तत्काल प्रभाव से इन दवाओं की बिक्री पर रोक लगाते हुए सभी संदिग्ध दवाओं के नमूने लखनऊ स्थित प्रयोगशाला में विस्तृत परीक्षण हेतु भेज दिए हैं।

मध्य प्रदेश में मिलावटी कफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद देशभर में दवा निरीक्षण को लेकर सतर्कता और सख्ती बढ़ाई गई है। इसी व्यापक अभियान के तहत गुरुवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग (FSDA) की आयुक्त रौशन जैकब वाराणसी पहुंचीं, जहां उन्होंने जिले में थोक दवा दुकानों, मेडिकल एजेंसियों और फार्मेसी प्रतिष्ठानों पर व्यापक छापेमारी अभियान की शुरुआत की। अभियान के पहले दिन ही 51 दुकानों की गहन जांच की गई थी, जिनमें कई अनियमितताएँ पाई गईं।

शुक्रवार को दूसरे दिन ड्रग इंस्पेक्टर जुनाब अली की अगुवाई में टीम ने एक और बड़े स्तर पर अभियान चलाया। जांच में रामनगर स्थित बालाजी मेडिकल स्टोर, सिकरौल की एनविनाया मेडिकल एजेंसी, शिवपुर स्थित केएल संस फार्मास्यूटिकल्स और बड़ागांव की देवनाथ फार्मेसी सहित कई प्रतिष्ठान जांच के दायरे में आए। टीम ने इन जगहों पर उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता से लेकर उनकी खरीद-बिक्री से जुड़े दस्तावेजों तक सभी पहलुओं का गहन छानबीन की। जिन दवाओं पर गुणवत्ता को लेकर शक हुआ, उन्हें मौके पर ही सील कर प्रयोगशाला भेज दिया गया।

वाराणसी में सिर्फ सामान्य दवाओं की गुणवत्ता ही नहीं, बल्कि नशीली और प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री भी लगातार चिंता का विषय बनी हुई थी। इस पृष्ठभूमि में शुक्रवार को आयुक्त रौशन जैकब के निर्देशन में लखनऊ और वाराणसी के कुल 10 दवा निरीक्षकों की टीम ने जिले के प्रमुख थोक विक्रेताओं के प्रतिष्ठानों पर अचानक और बड़ी छापेमारी कार्रवाई की।

कार्रवाई इतनी व्यापक थी कि एक ही दिन में 51 फर्मों को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। इतना ही नहीं, 12 फर्मों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इन फर्मों के ड्रग लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं और उनके भंडारण, वितरण, रिकॉर्ड और व्यापारिक गतिविधियों की विस्तृत जांच शुरू कर दी गई है। विभाग का मानना है कि यह जांच आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे कर सकती है।

आयुक्त रौशन जैकब ने कहा कि यह समूचा अभियान प्रदेशभर में चल रहे औषधि नियंत्रण अभियान का हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य नशीली, निम्न-स्तर की और प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री पर कठोर नियंत्रण स्थापित करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दवा व्यापार में किसी भी प्रकार की लापरवाही सीधे तौर पर आमजन के स्वास्थ्य से जुड़ी होती है, इसलिए कार्रवाई में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठने और इतने बड़े पैमाने पर फर्मों के सील होने के बाद जिले में आम लोगों के बीच भी चिंता बढ़ गई है। कई नागरिकों ने दवा खरीदते समय अधिक सतर्क रहने और मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठानों से ही दवाएं लेने की जरूरत महसूस की है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट आने तक संदिग्ध दवाओं की बिक्री पर कड़ी निगरानी बनी रहेगी।

इस पूरी कार्रवाई ने दवा व्यापारी समुदाय में हलचल मचा दी है, जबकि प्रशासन का कहना है कि लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। आने वाले दिनों में जिले में और भी प्रतिष्ठानों पर जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता है।

यह व्यापक कार्रवाई न केवल जिले में दवा गुणवत्ता नियंत्रण को मजबूत करेगी बल्कि यह संदेश भी दे रही है कि औषधियों की मिलावट या अवैध व्यापार के खिलाफ सरकार का रुख बिल्कुल शून्य सहनशीलता वाला है।

वाराणसी: दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल, 51 फर्म सील, 12 मेडिकल पर दर्ज हुई FIR

प्रयागराज: विद्या भारती की 36वीं खेलकूद प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ, 400 खिलाड़ी जुटे

जैंत में सनातन हिंदू एकता पदयात्रा का भव्य स्वागत, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने जया किशोरी को किया सम्मानित

वाराणसी: निबाह गांव में किशोर पर हमला, दबंगों ने की मारपीट, पुलिस ने दर्ज किया मामला

जौनपुर: छह साल पहले हुए हत्या मामले में चार दोषियों को उम्रकैद, 15 हजार जुर्माना