Thu, 25 Sep 2025 15:01:43 - By : Garima Mishra
वाराणसी: महादेव की नगरी काशी में दुर्गापूजा का उत्सव इस बार भी पूरे उल्लास और भव्यता के साथ मनाया जा रहा है। शहर और आसपास के गांवों में 500 से अधिक दुर्गा पंडाल सजाए गए हैं, जिनमें धार्मिक आस्था के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी प्रदर्शित किया जा रहा है। श्रद्धालु बताते हैं कि काशी की दुर्गापूजा केवल पूजा का आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति, भक्ति और समाजिक चेतना का अद्भुत संगम है।
इस साल का मुख्य आकर्षण 'ऑपरेशन सिंदूर' थीम रही। काशी के प्रसिद्ध मूर्तिकार अभिजीत विश्वास ने इस प्रतिमा को तैयार किया है। इस झांकी में मां दुर्गा भारतीय वीर सपूतों के साथ खड़ी होकर आतंकवाद रूपी रावण का नाश करती दिखाई देती हैं। सैनिक हाथों में अस्त्र-शस्त्र लिए मां का आशीर्वाद प्राप्त कर दुश्मनों का नाश करते नजर आएंगे। इस झांकी ने श्रद्धालुओं में भक्ति और देशभक्ति दोनों का भाव जागृत किया है।
इसके अलावा, कई पंडालों में पर्यावरण संरक्षण और समाजिक जागरूकता को केंद्र में रखकर मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाई गई हैं। इनमें मां दुर्गा हरे-भरे वृक्षों और जल स्रोतों की रक्षा करती दिख रही हैं। आयोजकों का कहना है कि दुर्गापूजा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने का अवसर भी है।
वाराणसी में दुर्गापूजा के पंडालों में सजावट, प्रतिमाओं की भव्यता और इलेक्ट्रॉनिक शो तथा लाइटिंग ने वातावरण और भी आकर्षक बना दिया है। कोलकाता के बाद काशी को अक्सर 'मिनी बंगाल' कहा जाता है, जहां दुर्गापूजा का विराट स्वरूप देखने को मिलता है। यहां की झांकियां न केवल आस्था की प्रस्तुति हैं, बल्कि कला, रचनात्मकता और समाजिक संदेश का अद्भुत मिश्रण भी प्रस्तुत करती हैं।
श्रद्धालु उत्साहपूर्वक इंतजार कर रहे हैं कि वे मां दुर्गा के अनोखे स्वरूपों के दर्शन कर पुण्य अर्जित करें और भक्ति, देशभक्ति तथा जागरूकता का संगम एक साथ देख सकें। यह पर्व काशी की सांस्कृतिक धरोहर और समाजिक चेतना को उजागर करने का प्रतीक बन गया है।