वाराणसी में देश की पहली रोपवे सेवा अगले वर्ष मई तक शुरू होने की तैयारी

वाराणसी में कैंट से गोदौलिया तक देश की पहली रोपवे सेवा मई 2026 तक शुरू हो सकती है, रोज़ एक लाख यात्रियों को लाभ मिलेगा।

Wed, 10 Dec 2025 11:32:53 - By : Palak Yadav

वाराणसी में सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक स्वरूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम अगले वर्ष मई में पूरा होने जा रहा है। शहर में देश की पहली रोपवे सेवा का संचालन शुरू करने की तैयारी अंतिम चरण में है। मंगलवार को मंडलायुक्त एस. राजलिंगम ने जानकारी दी कि कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक लगभग चार किलोमीटर की दूरी रोपवे के माध्यम से करीब 16 मिनट में पूरी की जा सकेगी। यह परियोजना न केवल यातायात को सुगम बनाएगी, बल्कि काशी आने वाले लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी बड़ी सुविधा प्रदान करेगी।

परियोजना के तहत 148 गोंडोला लगाए जाएंगे जिनमें प्रत्येक में 10 यात्रियों के बैठने की क्षमता होगी। किराया 50 से 100 रुपये प्रति व्यक्ति रखने का प्रस्ताव है। प्रशासन का अनुमान है कि प्रतिदिन लगभग एक लाख लोग इस सेवा का उपयोग कर सकते हैं। यह व्यवस्था शहर में बढ़ते यातायात दबाव को उल्लेखनीय रूप से कम करेगी और प्रमुख मार्गों की भीड़ से राहत दिलाएगी।

रोपवे निर्माण पर लगभग 800 करोड़ रुपये की लागत आएगी। मंडलायुक्त ने बताया कि पहले श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रतिदिन लगभग पांच हजार श्रद्धालु आते थे, जबकि आज यह संख्या दो लाख के करीब पहुंच चुकी है। उसी अनुरूप शहर की आवाजाही को सरल बनाने के लिए अत्याधुनिक समाधान तलाशे जा रहे हैं। वाराणसी की पुरानी गलियां, संकरी सड़कें और सघन आबादी को देखते हुए मेट्रो रेल परियोजना यहां व्यवहारिक नहीं मानी गई, जिसके बाद रोपवे को प्राथमिकता दी गई।

काशी में वर्ष 2026 में लगभग सात करोड़ पर्यटकों और श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2024 में यह संख्या 6.5 करोड़ के करीब थी। बढ़ते आगमन को देखते हुए प्रशासन जलमार्गों को विस्तार देने पर भी काम कर रहा है। गंगा नदी में ड्रेजिंग शुरू कर दी गई है और आठ सामुदायिक जेटी तैयार की जा रही हैं। नौकाओं की संख्या भी बढ़ाकर 600 से लगभग 2000 की जा रही है। इसके साथ ही शहर के प्रमुख मार्गों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन भी शुरू किया जा चुका है ताकि प्रदूषण कम हो और यात्रियों को बेहतर विकल्प मिल सके।

रोपवे सेवा के शुरू होने से वाराणसी में यातायात व्यवस्था में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। यह परियोजना शहर की सतत विकास योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे आने वाले वर्षों में काशी के शहरी ढांचे की दिशा बदलने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है।

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