Sat, 13 Dec 2025 11:02:09 - By : Palak Yadav
काशी में गंगा नदी पर जल यातायात को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए ट्रैफिक प्लान को समय की जरूरत बताते हुए प्रशासन ने इसे तेजी से लागू करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। गंगा में नावों की संख्या लगातार बढ़ रही है और वर्तमान में कुल 2095 नावें संचालित हो रही हैं। इसमें पांच क्रूज शामिल हैं। इसके अलावा 205 बजड़ा डबल डेकर हैं। 195 हाथ नाव यानी चप्पू बोट हैं और 1675 मोटर बोट गंगा में चल रही हैं। अधिकारियों के अनुसार आने वाले समय में इस संख्या में और बढ़ोतरी की पूरी संभावना है। ऐसे में जल क्षेत्र में अनुशासन और सुरक्षा बनाए रखने के लिए ट्रैफिक प्लान को प्रभावी ढंग से लागू करना आवश्यक हो गया है।
प्रस्तावित योजना के तहत गंगा में नावों के आने और जाने के लिए अलग अलग रास्ते तय किए जाएंगे। करीब तीन किलोमीटर के जल क्षेत्र में फ्लोटिंग जेटी के माध्यम से लेन डिवाइडर बनाया जाएगा। इससे नावों की आमने सामने की टक्कर की घटनाएं रुकेंगी। यदि किसी कारण से नाव डिवाइडर से टकराती भी है तो फ्लोटिंग जेटी पानी से भरी होने के कारण बड़े हादसे की आशंका नहीं रहेगी। यह व्यवस्था गंगा के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित किए बिना उसे नियंत्रित और संतुलित रखने में मदद करेगी।
काशी में पर्यटकों की भीड़ अब केवल देश तक सीमित नहीं है बल्कि दुनिया भर से लोग यहां पहुंच रहे हैं। दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती के बाद नमो घाट पर होने वाली आरती के दौरान भी भारी भीड़ उमड़ती है। ऐसे समय में जल क्षेत्र में नावों की अव्यवस्थित आवाजाही से हादसों का खतरा बढ़ जाता है। इसी को देखते हुए जल पुलिस ने विस्तृत ट्रैफिक प्लान तैयार किया है। आठ किलोमीटर के दायरे में फैले 84 घाटों की सुरक्षा के लिए पहले से ही 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से चलने वाली स्पीड बोट तैनात हैं। साथ ही जल पुलिस बल की संख्या को 32 से बढ़ाकर 100 किए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
डिवाइडर लेन बनाने के लिए तीन किलोमीटर क्षेत्र में मजबूत जाल बिछाया जाएगा। इसके ऊपर फ्लोटिंग जेटी लगाकर दो स्पष्ट लेन तैयार होंगी। पानी भरने के बाद एक जेटी का औसत वजन लगभग साढ़े तीन सौ किलो होगा। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी आपात स्थिति में फ्लोटिंग जेटी के नीचे लगा मजबूत जाल लोगों की जान बचाने में सहायक बनेगा।
घाटों पर होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। हर वर्ष स्नान के दौरान गंगा में डूबने से कई लोगों की जान चली जाती है। इसे रोकने के लिए खतरे के निशान से पहले मजबूत जाल के साथ फ्लोटिंग जेटी लगाई जाएगी। इसके ऊपर चमकने वाले उपकरण लगाए जाएंगे ताकि अंधेरे में भी खतरे की सीमा को आसानी से पहचाना जा सके।
वीआईपी और वीवीआईपी सुरक्षा के लिहाज से भी यह व्यवस्था महत्वपूर्ण मानी जा रही है। काशी में आने वाले विशिष्ट अतिथियों को गंगा के रास्ते लाने और ले जाने के दौरान अक्सर नावों की भीड़ के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक व्यवस्था लागू होने के बाद सुरक्षा प्रबंधन अधिक सुचारू हो जाएगा।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहा कि गंगा में ट्रैफिक प्लान समय की जरूरत है। दशाश्वमेध घाट की आरती के बाद नमो घाट पर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। काशी में देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर से लोग आते हैं। वर्तमान में 2095 नावें हैं और आगे इनकी संख्या बढ़ सकती है। इसे केवल ट्रैफिक प्लान के जरिए ही व्यवस्थित किया जा सकता है। हमने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है और सरकार भी हमारी मांगों को पूरा कर रही है।
प्रशासन अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए पोंटून नावें भी मंगा रहा है। स्पीड बोट और मोटर बोट के साथ पोंटून नावों को भी बेड़े में शामिल किया जाएगा। पहले मंगाई गई कुछ नावों में कमियां पाए जाने पर उन्हें वापस कर दिया गया था। नई पोंटून नावें जल्द ही गंगा में उतरेंगी। ये प्लास्टिक निर्मित होती हैं और इनमें पानी भरा होने के कारण टक्कर की स्थिति में जोखिम कम रहता है। यह कठोर कंक्रीट की तरह नुकसान नहीं पहुंचातीं बल्कि गति को नियंत्रित करने में मदद करती हैं और लचीली संरचना के कारण झटका भी कम लगता है।