वाराणसी: हबीबपुरा में नशीली दवाओं के कारोबार का भंडाफोड़, मेडिकल स्टोर संचालक गिरफ्तार

वाराणसी के हबीबपुरा में नारकोटिक्स ब्यूरो की छापेमारी में एक करोड़ से अधिक की नशीली दवाएं बरामद, मेडिकल स्टोर संचालक प्रमोद कुमार वर्मा गिरफ्तार, अवैध कारोबार का पर्दाफाश।

Sat, 14 Jun 2025 11:17:38 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: चेतगंज थाना क्षेत्र के हबीबपुरा मोहल्ले में उस समय हड़कंप मच गया जब केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (सीएनबी) की गाजीपुर और लखनऊ इकाई की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को एक मेडिकल और जनरल स्टोर पर अचानक छापा मार दिया। यह कार्रवाई विशेष खुफिया सूचना के आधार पर की गई, जिसमें एक करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की एनआरएक्स श्रेणी की प्रतिबंधित और नशीली दवाओं का बड़ा जखीरा बरामद किया गया। इस ऑपरेशन के दौरान स्टोर संचालक प्रमोद कुमार वर्मा को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।

नारकोटिक्स अधीक्षक एस.के. सिंह और के.के. श्रीवास्तव के नेतृत्व में की गई इस कार्रवाई ने न केवल क्षेत्र में अवैध रूप से संचालित हो रहे फार्मा नेटवर्क का पर्दाफाश किया, बल्कि यह भी उजागर किया कि किस तरह बिना वैध कागज़ात और लाइसेंस के नशे की दवाएं खुलेआम बेची जा रही थीं। छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने स्टोर में मौजूद दवाओं के दस्तावेज़ जब मांगे, तो संचालक कोई भी वैध प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर सका। शुरुआती पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह ट्रामाडोल, अल्प्राजोलम, क्लोनाजेपाम जैसी एनआरएक्स श्रेणी की दवाएं बिना बिल के दवा मंडी से खरीदकर नशे के आदी ग्राहकों को ऊंचे दामों में बेचा करता था।

टीम को मौके से कुल 10,851 टैबलेट्स और 1,026 बोतलें कोडीन फॉस्फेट सिरप बरामद हुईं। जब्त की गईं दवाएं मेडिकल साइंस में उच्च नशे की श्रेणी में आती हैं और इन्हें सिर्फ चिकित्सक की लिखित पर्ची पर ही एक सीमित मात्रा में बेचा जा सकता है। एनआरएक्स यानी New Refill Prescription श्रेणी की इन दवाओं की खरीद-बिक्री के लिए न केवल लाइसेंस जरूरी होता है, बल्कि हर बार मरीज को नया प्रिस्क्रिप्शन देना भी अनिवार्य होता है। बावजूद इसके, यह मेडिकल स्टोर न तो किसी लाइसेंस के अंतर्गत पंजीकृत था और न ही बिक्री का कोई वैध रिकॉर्ड मौजूद था।

नारकोटिक्स अधीक्षक के.के. श्रीवास्तव ने बताया कि यह एक गंभीर आपराधिक कृत्य है क्योंकि इन दवाओं का दुरुपयोग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक होता है, और यह नशे की लत बढ़ाने का एक प्रमुख माध्यम बन चुका है। प्रारंभिक जांच के अनुसार इस काले कारोबार के तार किसी बड़े थोक दवा विक्रेता से भी जुड़े हो सकते हैं, जिसे चिन्हित करने के लिए पूछताछ और जांच जारी है। टीम अब इस दिशा में गहराई से छानबीन कर रही है कि आखिर इस पूरे रैकेट में और कौन-कौन शामिल हैं, और क्या कोई अन्य मेडिकल स्टोर या एजेंसी भी इस तरह के अवैध कारोबार में संलिप्त है।

इस छापेमारी के बाद चेतगंज क्षेत्र समेत शहर के अन्य हिस्सों में ऐसे मेडिकल स्टोर्स में खलबली मच गई है, जहां लंबे समय से संदेह के घेरे में चल रही दुकानों पर अब कार्रवाई की आहट तेज हो गई है। इस प्रकरण ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि ड्रग माफिया किस तरह से चिकित्सा व्यवस्था की आड़ लेकर नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं, और कैसे आम नागरिकों खासकर युवाओं को इन दवाओं की गिरफ्त में धकेल रहे हैं।

प्रमोद वर्मा की गिरफ्तारी के साथ ही मामले में आगे की जांच प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नारकोटिक्स टीम यह भी पता लगाने में जुटी है कि कहीं यह स्टोर किसी संगठित गिरोह का हिस्सा तो नहीं था, और क्या यह नेटवर्क वाराणसी के बाहर के क्षेत्रों में भी फैला हुआ है। एक करोड़ रुपये से अधिक की नशीली दवाओं की बरामदगी इस बात का संकेत है कि यह मामला महज एक स्टोर तक सीमित नहीं बल्कि एक गहरे और व्यापक ड्रग सिंडिकेट की ओर इशारा कर रहा है। प्रशासनिक और जांच एजेंसियों के लिए यह ऑपरेशन न सिर्फ एक बड़ी सफलता है, बल्कि एक चेतावनी भी कि अब इस तरह के अपराधों पर शिकंजा कसने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

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