वाराणसी: जन औषधि केंद्र संचालकों ने सरकार के फैसले के खिलाफ शुरू किया आंदोलन

वाराणसी में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालकों ने न्यूनतम दूरी नीति समाप्त करने के सरकार के फैसले के खिलाफ आंदोलन शुरू किया।

Fri, 19 Sep 2025 13:33:20 - By : Garima Mishra

वाराणसी में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालकों ने गुरुवार को केंद्र सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत कर दी। वाराणसी जन औषधि एसोसिएशन के आह्वान पर शहर के सभी संचालकों ने अपने केंद्रों का आधा शटर गिराकर और काली पट्टी बांधकर प्रतीकात्मक विरोध दर्ज कराया। यह विरोध फार्मास्यूटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइस ब्यूरो ऑफ इंडिया द्वारा जन औषधि केंद्रों की न्यूनतम दूरी की नीति समाप्त करने के निर्णय के खिलाफ किया गया।

संचालकों का कहना है कि पहले केंद्रों के बीच एक से डेढ़ किलोमीटर की न्यूनतम दूरी तय थी, जिससे दवाओं की उपलब्धता और ग्राहकों की संख्या संतुलित रहती थी। लेकिन अब इस नीति को समाप्त करने से एक ही क्षेत्र में कई केंद्र खुलने का रास्ता साफ हो गया है। संचालकों का तर्क है कि इससे उनकी आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा, जबकि वे पहले से ही आर्थिक और प्रबंधन संबंधी कठिनाइयों से जूझ रहे हैं।

एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविंद कुमार श्रीवास्तव ने स्पष्ट कहा कि यह निर्णय संचालकों के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह निर्णय वापस नहीं लिया गया तो आंदोलन को और बड़े स्तर पर ले जाया जाएगा। एसोसिएशन के महामंत्री अनिमेष गुप्ता ने बताया कि यह विरोध शांतिपूर्ण है और इसकी पूरी जानकारी जिला प्रशासन को पहले ही दे दी गई है। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को जिलेभर में सभी जन औषधि केंद्र पूरी तरह बंद रहेंगे।

एसोसिएशन के अनुसार वाराणसी में 100 से अधिक प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित हो रहे हैं, जिनका उद्देश्य आम जनता को कम दाम पर गुणवत्तापूर्ण दवाइयां उपलब्ध कराना है। लेकिन संचालकों का कहना है कि न्यूनतम दूरी नीति को समाप्त करना इस योजना की आत्मा पर प्रहार है। इससे न केवल संचालकों का भविष्य संकट में पड़ेगा बल्कि गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों तक सस्ती दवाओं की स्थिर आपूर्ति भी बाधित हो सकती है।

संचालकों का गुस्सा इस बात पर भी है कि देश के 46 जिलों में इस नीति को समाप्त कर दिया गया है, जबकि अन्य जिलों में यह अब भी लागू है। उन्होंने इसे दोहरी नीति बताते हुए शुक्रवार को अपने सभी प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रखने का ऐलान किया है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि सरकार ने जल्द ही इस पर विचार नहीं किया तो आंदोलन और तेज होगा और इसे व्यापक स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।

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