Tue, 16 Sep 2025 18:53:28 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: आज शहर में मंगलवार को एक बड़ी घटना ने कानून-व्यवस्था को हिला दिया। कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच तनाव इतना बढ़ गया कि अधिवक्ताओं ने बड़ागांव थाने पर तैनात दरोगा मिथिलेश प्रजापति और उनके साथ मौजूद पुलिसकर्मियों पर हमला बोल दिया। अधिवक्ताओं ने दरोगा को दौड़ा-दौड़ाकर बेरहमी से पीटा, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई। दरोगा को तुरंत बीएचयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया, जहां चिकित्सकों ने उनकी स्थिति नाजुक बताई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह विवाद पिछले सप्ताह बड़ागांव थाने में जमीन के एक मामले को लेकर शुरू हुआ था। शनिवार को दोनों पक्षों में कहासुनी और मारपीट के बाद पुलिस ने शांति भंग की धाराओं में कार्रवाई की थी। उसी दौरान आरोप लगा कि दरोगा मिथिलेश ने एक अधिवक्ता के साथ मारपीट की थी, जो गंभीर रूप से घायल होकर ट्रॉमा सेंटर में भर्ती हुआ। इसी घटना से वकीलों में आक्रोश फैल गया और मंगलवार को जब दरोगा कचहरी परिसर में पहुंचे, तो अधिवक्ताओं ने उन्हें घेरकर हमला कर दिया।
हमले के दौरान दरोगा की वर्दी फाड़ दी गई और उन्हें बुरी तरह पीटा गया। सिर और चेहरे पर तीन गहरे घाव आए हैं, जबकि पूरे शरीर पर 13 चोटों के निशान मिले हैं। उनके साथ आए एक सिपाही से भी मारपीट की गई। मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि जब कुछ लोग बीच-बचाव करने पहुंचे, तो उन्हें भी चोटें आईं।
घटना की सूचना मिलते ही कचहरी परिसर में अफरातफरी मच गई। तत्काल प्रभाव से कमिश्नरेट के पांच थानों की पुलिस फोर्स मौके पर तैनात कर दी गई, जबकि कुछ ही देर में छह थानों की करीब 300 पुलिसकर्मियों की अतिरिक्त फोर्स भी कचहरी में पहुंच गई। पूरी कचहरी को छावनी में तब्दील कर दिया गया और भारी सुरक्षा व्यवस्था कायम की गई।
डीएम सत्येंद्र कुमार, अपर पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) शिवहरि मीणा, डीसीपी काशी जोन प्रमोद कुमार, एडीसीपी क्राइम सरवणन टी और एडीएम सिटी आलोक वर्मा घटना के तुरंत बाद जिला जज से मिले। अधिकारियों ने वकीलों से कोर्ट खाली करने का अनुरोध किया और हालात को काबू में करने का प्रयास किया।
मामले की जड़ बड़ागांव थाना क्षेत्र के पुआरी खुर्द गांव के दो पट्टीदारों के बीच जमीन विवाद से जुड़ी है। मोहित कुमार सिंह और प्रेमचंद्र मौर्या के बीच आराजी संख्या 125 और 126 को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। एक पक्ष का आरोप है कि स्थगन आदेश के बावजूद निर्माण कराया जा रहा है, जबकि दूसरा पक्ष कहता है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वैध निर्माण किया जा रहा है। इसी विवाद में कई बार झगड़े हो चुके हैं और 28 जून 2025 को दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हुए थे।
13 सितंबर को समाधान दिवस जनसुनवाई के दौरान पुलिस ने दोनों पक्षों को समझाने का प्रयास किया था, लेकिन विवाद बढ़ने पर शांति भंग की धाराओं में कार्रवाई करनी पड़ी। इसी दौरान अधिवक्ताओं का आरोप है कि दरोगा मिथिलेश ने वकील के साथ मारपीट की थी। इसी नाराजगी ने मंगलवार की घटना को जन्म दिया।
इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. परवेज अहमद ने बताया कि दरोगा की हालत गंभीर बनी हुई है। उनके सिर और चेहरे पर गहरे जख्म हैं और पूरे शरीर में 13 चोटों के निशान मिले हैं। डॉक्टरों की टीम उनकी स्थिति पर लगातार नजर रख रही है।
अपर पुलिस आयुक्त शिवहरि मीणा ने घटना को गंभीर मानते हुए कहा कि हमले में शामिल वकीलों की पहचान की जा रही है। कचहरी परिसर और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज व वीडियो रिकॉर्डिंग खंगाले जा रहे हैं। पुलिस ने साफ किया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और सबूतों के आधार पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम ने जिले में वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच तनाव को और गहरा कर दिया है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि न्याय के मंदिर कहे जाने वाले कचहरी परिसर में ही जब कानून व्यवस्था ध्वस्त हो जाए, तो आम जनता कितनी सुरक्षित है।