Mon, 22 Sep 2025 11:18:07 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी: अधिवक्ताओं और पुलिसकर्मियों के बीच टकराव से जुड़ा मामला अब मजिस्ट्रियल जांच के दायरे में पहुंच गया है। बड़ागांव थाने में दरोगा मिथिलेश प्रजापति की पिटाई और वकीलों के खिलाफ दर्ज मुकदमे के साथ ही अधिवक्ताओं से पुलिसकर्मियों के कथित दुर्व्यवहार की भी जांच कराई जाएगी। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जांच पूरी होने तक आरोपी अधिवक्ताओं की गिरफ्तारी नहीं होगी और न ही किसी पुलिसकर्मी पर बिना प्रमाण कार्रवाई की जाएगी।
शनिवार को कचहरी परिसर में हुए विवाद में दस नामजद और करीब 50 से 60 अज्ञात अधिवक्ताओं पर केस दर्ज हुआ था। वहीं, पुलिसकर्मियों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठे थे। अब दोनों ही घटनाओं की तहकीकात मजिस्ट्रियल स्तर पर होगी और जांच के निष्कर्ष के आधार पर आगे की कार्रवाई तय होगी।
पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया कि जब तक जांच चल रही है तब तक किसी भी पक्ष के खिलाफ एकतरफा कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। यदि किसी पुलिसकर्मी की लापरवाही या भूमिका सामने आती है तो उस पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कदम आवश्यक है।
तनावपूर्ण हालात के बीच रविवार की शाम छावनी स्थित पुलिस आयुक्त कैंप कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें मंडलायुक्त एस राजलिंगम, डीएम सत्येंद्र कुमार, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और अधिवक्ताओं की 11 सदस्यीय कमेटी मौजूद रही। बैठक में सहमति बनी कि महीने में एक बार अधिवक्ताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच बैठक होगी, जिसमें समस्याओं पर चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा।
बैठक में यह भी तय किया गया कि रथयात्रा इलाके में अधिवक्ता शिवा सिंह से हुए विवाद पर कोई एकतरफा कार्रवाई नहीं होगी। आरोपी इंस्पेक्टर की तहरीर पर क्रॉस एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। अधिवक्ता संगठनों ने आंदोलन स्थगित कर सोमवार से न्यायिक कार्यों में वापसी का निर्णय लिया। बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार तिवारी ने कहा कि अधिवक्ता जांच में पूरा सहयोग करेंगे।
अधिकारियों का मानना है कि यह सहमति दोनों पक्षों के बीच तनाव कम करने और भविष्य में टकराव से बचने का रास्ता खोल सकती है। नवरात्रि के माहौल के बीच शहर में सामान्य न्यायिक कार्यवाही बहाल होना भी आम लोगों के लिए राहत की खबर है।