Sat, 04 Oct 2025 17:30:01 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: धर्मनगरी काशी एक बार फिर धार्मिक गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में है। शनिवार को दशाश्वमेध थाना क्षेत्र के मदनपुरा मोहल्ले में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ आयोजित किया गया। यह आयोजन हाल ही में हुए लाउडस्पीकर विवाद के बाद किया गया, जिसके चलते प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई ढिलाई नहीं बरती। दोपहर 12 बजे शुरू हुए पाठ के दौरान मंदिर परिसर से लेकर आसपास की गलियों तक पुलिस बल तैनात रहा।
मदनपुरा का यह हनुमान मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है, जहां प्रतिदिन स्थानीय भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हालांकि, बीते गुरुवार की शाम इस परंपरा को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब मंदिर में लाउडस्पीकर से हो रहे पाठ का कुछ लोगों ने विरोध किया। मंदिर के पुजारी संजय प्रजापति ने बताया कि शाम करीब 7:30 बजे हनुमान चालीसा का पाठ चल रहा था, तभी मोहल्ले में रहने वाले अब्दुल नासिर और उनका पुत्र वहां पहुंचे और गाली-गलौज करने लगे। उन्होंने लाउडस्पीकर बंद करने की धमकी दी और कहा कि अगर दोबारा लाउडस्पीकर बजाया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
पुजारी ने घटना की जानकारी तुरंत पुलिस को दी। दशाश्वमेध थाना प्रभारी उपेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पुजारी संजय कुमार प्रजापति की तहरीर के आधार पर दोनों आरोपियों, पिता अब्दुल नासिर और उनके बेटे को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने उनके खिलाफ धार्मिक स्थलों की मर्यादा भंग करने और शांति भंग की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
इस गिरफ्तारी के बाद हनुमान सेना संगठन के पदाधिकारी और स्थानीय श्रद्धालु विरोध स्वरूप शनिवार को मंदिर में एकत्र हुए और सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा पाठ करने का निर्णय लिया। कार्यक्रम की सूचना मिलते ही प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया। मंदिर के आसपास पुलिस बल, पीएसी और खुफिया विभाग के कर्मियों को तैनात किया गया। क्षेत्र में आने-जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर कड़ी नजर रखी गई।
हनुमान सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर सिंह ने इस मौके पर कहा, "हमारे हनुमान चालीसा पाठ से किसी को दिक्कत क्यों होनी चाहिए? जब सुबह-सुबह मस्जिदों और मजारों पर लाउडस्पीकर से अज़ान दी जाती है, तो किसी को आपत्ति नहीं होती। फिर जब हम हनुमान जी का गुणगान करते हैं, तो विरोध क्यों? हमें इसका जवाब चाहिए।" उनके इस बयान के बाद भक्तों में जोश देखने लायक था। जय श्रीराम और बजरंगबली के जयकारों से पूरा परिसर गूंज उठा।
पूरे कार्यक्रम के दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। एडीसीपी काशी जोन समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। पुलिस ने मंदिर के मुख्य द्वार पर बैरिकेडिंग कर रखी थी ताकि केवल अनुमति प्राप्त श्रद्धालु ही अंदर प्रवेश कर सकें। किसी भी अफवाह या विवादित बयान को रोकने के लिए सोशल मीडिया की निगरानी भी बढ़ा दी गई थी।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ और कहीं भी किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई। एडीसीपी ने कहा कि शहर की गंगा-जमुनी तहजीब को बनाए रखना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है और किसी को भी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर क्षेत्र के हिंदू समुदाय की आस्था का प्रमुख केंद्र है, और यहां प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। हालांकि, हालिया विवाद के बाद इलाके में तनाव की स्थिति जरूर बनी हुई है। पुलिस ने दोनों समुदायों के प्रभावशाली लोगों से बातचीत कर माहौल को सामान्य बनाए रखने की अपील की है।
मदनपुरा जैसे घनी आबादी वाले इलाके में धर्म से जुड़ी किसी भी गतिविधि को लेकर प्रशासन हमेशा सतर्क रहता है, क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं। ऐसे में प्रशासन का प्रयास है कि कोई भी स्थिति साम्प्रदायिक रूप न ले।
शनिवार का दिन इस बात का गवाह बना कि काशी की जनता अपनी धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ शांति और सौहार्द की भी उतनी ही समर्थक है। पुलिस और प्रशासन की तत्परता तथा स्थानीय लोगों के संयम के चलते संभावित तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित रखा गया।
वर्तमान में मंदिर में नियमित पूजा-पाठ सामान्य रूप से चल रहा है, और प्रशासन ने क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वाराणसी पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि धार्मिक आस्थाओं का सम्मान करते हुए किसी भी पक्ष को कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि धार्मिक स्थलों पर ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को लेकर समाज में समान मानदंड क्यों नहीं हैं। प्रशासन का कहना है कि वह उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्रवाई करेगा और सभी धर्मों के अनुयायियों से आपसी सम्मान बनाए रखने की अपील की गई है।
काशी, जो विश्व में आध्यात्मिक एकता और सहिष्णुता का प्रतीक मानी जाती है, वहां ऐसे विवादों का शांतिपूर्ण समाधान होना शहर की सांस्कृतिक गरिमा का परिचायक है। शनिवार का यह आयोजन इसी बात का प्रमाण रहा कि मतभेदों के बावजूद, वाराणसी की आत्मा अब भी धार्मिक सौहार्द और एकता में रची-बसी है।