Thu, 17 Jul 2025 11:50:49 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शिवपुर थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और उसके कांस्टेबल प्रेमी पर गंभीर आरोप लगाते हुए मारपीट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। यह मामला अब न सिर्फ पुलिस महकमे के भीतर अनुशासन और निष्पक्षता को लेकर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि न्यायिक हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुई FIR ने पूरे घटनाक्रम को संवेदनशील बना दिया है।
पीड़ित विवेक कुमार, जो जौनपुर जनपद के रामपुर गांव के निवासी हैं, ने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ज्योति पटेल, जो चोलापुर क्षेत्र की रहने वाली है, का वाराणसी पुलिस लाइन में तैनात एक कांस्टेबल के साथ लंबे समय से अवैध संबंध है। विवेक के अनुसार, विवाह के तुरंत बाद से ही पारिवारिक जीवन सामान्य नहीं रहा। धीरे-धीरे उन्हें अपनी पत्नी के व्यवहार में असामान्यता नजर आने लगी, और फिर यह स्पष्ट हुआ कि उसकी नजदीकियां एक कांस्टेबल से हैं, जो पहले से ही एक वैवाहिक विवाद में उलझा हुआ है।
विवेक ने बताया कि पति-पत्नी के बीच पारिवारिक विवाद के चलते पहले से ही एक वाद न्यायालय में विचाराधीन है। इसी बीच 11 मई 2025 को एक अप्रत्याशित घटना हुई, जब वे अपनी मां और भाई के साथ शाम करीब 7 बजे शिवपुर स्थित विशाल मेगा मार्ट खरीदारी के लिए गए थे। संयोगवश, वहां उनकी पत्नी ज्योति अपने कांस्टेबल मित्र के साथ मौजूद थी। विवेक का कहना है कि उनकी मां को देखकर पत्नी ने अभद्र टिप्पणियां कीं, और विरोध करने पर कांस्टेबल ने उन्हें और उनके भाई को धमकाया व मारपीट की।
घटना के बाद विवेक तत्काल शिवपुर थाने पहुंचे, लेकिन उनका आरोप है कि वहां कांस्टेबल के प्रभाव के कारण उनकी तहरीर न तो दर्ज की गई और न ही कोई सुनवाई हुई। इसके उलट, कुछ दिनों बाद पता चला कि पत्नी की ओर से उन पर एक झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया गया। विवेक का कहना है कि न्याय की उम्मीद में उन्होंने कोर्ट का रुख किया, जिसके आदेश पर अंततः पुलिस ने बीएनएस की धारा 115(2) (धमकी देना) और 352 (मारपीट) के तहत मुकदमा दर्ज किया है।
शिवपुर थाना प्रभारी इंस्पेक्टर जगदीश कुशवाहा ने पुष्टि की कि मामले में कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि आरोपियों के मोबाइल की कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकलवाई जा रही है और घटना वाले दिन विशाल मेगा मार्ट परिसर के सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले जा रहे हैं, ताकि साक्ष्य के आधार पर आगे की जांच को गति दी जा सके।
यह प्रकरण न सिर्फ एक पारिवारिक विवाद तक सीमित है, बल्कि इसमें पुलिस विभाग के भीतर संभावित पक्षपात और प्रभाव के दुरुपयोग की आशंका को भी उजागर करता है। न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद हुई प्राथमिकी दर्जी से यह साफ है कि विवेक कुमार को थाने स्तर पर त्वरित न्याय नहीं मिल सका, जिससे पीड़ित को विधिक माध्यम से राहत लेनी पड़ी।