Sat, 14 Jun 2025 21:17:00 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर/ संवेदना की भाषा शायद शब्दों से नहीं, हृदय की गहराइयों से व्यक्त होती है। कुछ ऐसा ही दृश्य शनिवार को तब देखने को मिला, जब वाराणसी कैंट क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने न सिर्फ जनप्रतिनिधि के रूप में, बल्कि एक सच्चे इंसान, एक बेटे, एक भाई और एक संबल बनकर दुख की छाया में डूबे परिजनों का साथ निभाया।
रामनगर के बहुचर्चित गोलाघाट हत्याकांड में मारे गए मुकेश चौहान की तेरहवीं में जब विधायक सौरभ श्रीवास्तव पहुंचे, तो वहां सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक व्यक्तित्व उपस्थित था। जैसे ही वह मृतक के घर पहुंचे, तो मातम में डूबी उस गलियों में एक सन्नाटा टूट गया और लोगों की आंखें नम हो गईं। मुकेश की मां से मिलकर उन्होंने जो शब्द कहे, वह केवल सांत्वना नहीं, एक पुत्रवत वचन था। “आपका बेटा अब भले लौट न सके, पर यह बेटा जीवन भर आपके साथ खड़ा रहेगा।” इस एक वाक्य में जितनी गहराई थी, उतना ही विश्वास उन लोगों को मिला, जो न्याय की आस में अब तक टूट चुके थे।
मुकेश चौहान की हत्या ने पूरे चौहान समाज को झकझोर कर रख दिया था। इस जघन्य कांड में रामनगर थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष समेत कई पुलिसकर्मी निलंबित हो चुके हैं। विधायक श्रीवास्तव ने इस पूरे प्रकरण में सक्रिय भूमिका निभाते हुए, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में जो मानवीय पहल की, उसकी चर्चा वहां हर किसी की जुबान पर थी। उनके आगमन की सूचना मिलते ही चौहान समाज के अनेक सदस्य एकत्रित हो गए और एक स्वर में उनके प्रयासों की सराहना की।
तेरहवीं में शामिल होने के पूर्व विधायक सौरभ श्रीवास्तव शास्त्री चौक स्थित पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने उनके बड़े भाई स्वर्गीय स्वतंत्र श्रीवास्तव के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। एक पत्रकार का दुख, जिसकी लेखनी शहर की नब्ज़ को बख़ूबी जानती है, जब व्यक्तिगत क्षति में बदली, तो सौरभ श्रीवास्तव ने वहां भी एक सच्चे मित्र, एक सहभागी के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उन्होंने मनोज श्रीवास्तव के परिवार को धैर्य और साहस की कामना दी, और हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया। मनोज श्रीवास्तव की आंखों में आंसू थे, पर विधायक की मौजूदगी ने उस क्षण को सहने लायक बना दिया।
इसके बाद विधायक रामपुर पहुंचे, जहां भाजपा कार्यकर्ता स्वास्तिक श्रीवास्तव के घर उन्होंने उनके पिता के आकस्मिक निधन पर सांत्वना व्यक्त की। एक युवा कार्यकर्ता, जिसने पार्टी के कार्य में दिन-रात योगदान दिया, उस पर आए इस दुखद समय में सौरभ श्रीवास्तव एक अभिभावक के समान पहुंचे। उन्होंने कहा कि यह दुख केवल एक परिवार का नहीं, हम सबका है। इस वक्त हम सब एक हैं, और स्वास्तिक को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
इस पूरे संवेदना-यात्रा में विधायक के साथ सृजन श्रीवास्तव, जयसिंह चौहान, आनंद चौहान, सुभाष चौहान, विकास चौहान और दीपक चौहान समेत दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे, जो हर क्षण एकजुटता और सामूहिक मानवीय भाव को दर्शा रहे थे।
इस दिन की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया कि राजनीति केवल भाषणों का मंच नहीं, बल्कि भावनाओं की ज़मीन भी होती है। जब एक जनप्रतिनिधि दुःख के समय सिर्फ कंधा नहीं, दिल भी साझा करता है, तब जनता उसे नेता नहीं, अपने परिवार का हिस्सा मानने लगती है।
विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने इस दिन न सिर्फ दुःख बांटा, बल्कि यह भी सिखाया कि सच्ची सेवा वहीं होती है, जहां आंखों में आंसू हों, और साथ देने वाला कोई हाथ हो। मजबूती से थामे हुए।