Sat, 12 Jul 2025 12:53:43 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: सावन का पावन महीना शुरू होते ही धर्मनगरी काशी की धार्मिक मर्यादा और परंपरा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने एक बड़ा निर्णय लिया है। अब पूरे सावन माह में वाराणसी नगर निगम सीमा क्षेत्र, जो करीब 182 वर्ग मील में फैला है। इसमें मांस और मछली की सभी दुकानों को पूर्ण रूप से बंद रखने का निर्देश जारी किया गया है। यह निर्णय शुक्रवार को नगर निगम की कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता महापौर अशोक कुमार तिवारी ने की।
बैठक में कार्यकारिणी सदस्य हनुमान प्रसाद द्वारा यह प्रस्ताव रखा गया था कि सावन के महीने में पूरे नगर निगम क्षेत्र में मांस और मछली की बिक्री पूरी तरह बंद की जाए। इस प्रस्ताव को महापौर सहित सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने सर्वसम्मति से समर्थन दिया। महापौर ने निर्देश दिया कि जो भी दुकानदार इस आदेश का उल्लंघन करता पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
नगर आयुक्त अक्षत वर्मा को इस निर्णय के सख्ती से पालन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। आयुक्त ने पशु कल्याण अधिकारी संतोष पाल को इस आदेश के अनुपालन का निर्देश दिया, जिस पर अधिकारी ने सभी सदस्यों को आश्वस्त किया कि सावन महीने में नगर निगम की शहरी सीमा के भीतर मांस और मछली की कोई भी दुकान खुली नहीं रहने दी जाएगी।
पशु कल्याण अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी दुकानदार द्वारा आदेश का उल्लंघन किया गया, तो उसके खिलाफ न केवल भारतीय दंड संहिता के तहत एफआईआर दर्ज होगी, बल्कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के अंतर्गत कानूनी कार्रवाई करते हुए जब्ती की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।
इस निर्णय के पीछे उद्देश्य केवल धार्मिक भावना का सम्मान करना ही नहीं, बल्कि शहर के वातावरण को भी आध्यात्मिक और पवित्र बनाए रखना है। सावन के दौरान वाराणसी में लाखों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में नगर निगम की यह पहल श्रद्धालुओं और धार्मिक भावनाओं के अनुरूप एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है।
नगर निगम प्रशासन ने शहर के सभी संबंधित विभागों को इस फैसले की सूचना देने और निगरानी टीम गठित करने के आदेश दिए हैं, ताकि इस निर्णय का पालन प्रभावी ढंग से कराया जा सके। इससे पहले भी सावन महीने में कई स्थानों पर मांस-मछली की दुकानों को बंद रखने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार पहली बार पूरे निगम क्षेत्र में इसे औपचारिक रूप से लागू किया गया है।
शहरवासियों और व्यापारियों से भी अपील की गई है कि वे धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए इस आदेश का पालन करें, ताकि काशी की सांस्कृतिक गरिमा को सुरक्षित रखा जा सके। नगर निगम प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा और निगरानी में कोताही बरतने वाले अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाएगी।
यह कदम काशी की धार्मिक परंपरा, श्रद्धा और शहर की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है, जिससे आने वाले समय में अन्य धार्मिक नगरों को भी प्रेरणा मिल सकती है।