वाराणसी: रामनगर में कॉलेज की दीवार गिरने से कई घायल, लापरवाही पर उठे सवाल

वाराणसी के रामनगर में पेड़ गिरने से प्रभु नारायण कॉलेज की दीवार ढही, कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए, प्रशासनिक लापरवाही उजागर हुई।

Fri, 05 Sep 2025 12:22:18 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर शहर में आज सुबह घटी एक दर्दनाक घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और लापरवाही पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रभु नारायण राजकीय इंटर कॉलेज की दीवार गिरने से कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। सभी घायलों को तत्काल उपचार के लिए लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

सुबह करीब नौ बजे यह हादसा उस समय हुआ जब लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय के ठीक सामने एक बड़ा पेड़ काटा जा रहा था। पेड़ का भारी तना सीधे कॉलेज की दीवार पर गिर पड़ा, जिससे दीवार भरभरा कर गिर गई। उसी समय दीवार के पास कुछ लोग और वहां बैठी बच्चियां दब गईं। देखते ही देखते मौके पर चीख-पुकार मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस जगह पर यह हादसा हुआ वहां लंबे समय से चाय-नाश्ते की दुकानें लगती हैं। पेड़ काटने का कार्य शुरू करने से पहले वहां मौजूद लोगों को न तो सचेत किया गया और न ही दुकानों को बंद करवाया गया। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही क्यों बरती गई। क्या जिम्मेदारों को यह अंदाजा नहीं था कि पेड़ का गिरना आसपास बैठे लोगों की जान ले सकता है?

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जैसे ही पेड़ दीवार पर गिरा, वहां मौजूद मजदूर और काटने वाले अचानक चिल्लाते हुए भाग खड़े हुए और लोगों को गुमराह करने के लिए यह कह दिया कि दीवार में सांप है। इस अफरातफरी के बीच कई लोग मलबे में दबकर घायल हो गए। लोगों ने मौके पर पहुंचकर घायलों को बाहर निकाला और उन्हें अस्पताल पहुंचाया।

हादसे के बाद स्थानीय नागरिकों का गुस्सा चरम पर है। लोग प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों से पूछ रहे हैं कि आखिर बिना सुरक्षा इंतजाम और बिना सूचना दिए पेड़ काटने का काम कैसे शुरू कर दिया गया। क्या मानव जीवन की कीमत इतनी सस्ती है कि पहले सूचना दिए बिना ऐसे जोखिम भरे कार्य किए जाएं?

फिलहाल, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है। लेकिन सवाल यह है कि क्या महज जांच और खानापूरी करने से ऐसे हादसों पर रोक लगेगी? लोगों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाही किसी मासूम की जिंदगी पर भारी न पड़े।

रामनगर हॉस्पिटल के पास घटित हुई की इस घटना ने न केवल स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया है, बल्कि प्रशासनिक कार्यशैली पर भी गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। यह हादसा एक कड़वी सच्चाई की तरह सामने आया है कि यदि सतर्कता और सुरक्षा उपायों का पालन समय रहते किया गया होता, तो कई जिंदगियां इस संकट से बचाई जा सकती थीं।

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