Fri, 26 Dec 2025 11:19:44 - By : Palak Yadav
वाराणसी के सर्राफा बाजार में चांदी की कीमतों में आई तेज बढ़ोतरी ने व्यापारियों और ग्राहकों दोनों की चिंता बढ़ा दी है। सोने के बाद अब चांदी भी आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है। कभी काशी की महिलाओं की पहचान मानी जाने वाली रेशमी पाजेब पायल और बिछिया की झंकार अब बाजारों में कम ही सुनाई देती है। गोदौलिया चौक और विश्वेश्वरगंज जैसे प्रमुख सर्राफा इलाकों में ग्राहकों की आवाजाही घटने से दुकानों पर सन्नाटा पसरा हुआ है और कारोबारी भविष्य को लेकर आशंकित नजर आ रहे हैं।
आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी माह में चांदी की कीमत अस्सी से नब्बे हजार रुपये प्रति किलोग्राम के बीच थी। महज कुछ ही महीनों में यह कीमत तेजी से बढ़ती चली गई। पंद्रह दिन पहले चांदी एक लाख पचहत्तर हजार रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंची। इसके बाद शुक्रवार को यह एक लाख पचानवे हजार रुपये और शनिवार को एक लाख अट्ठानवे हजार रुपये प्रति किलोग्राम पर जा पहुंची। सोमवार को चांदी ने दो लाख छब्बीस हजार रुपये प्रति किलोग्राम का स्तर छू लिया। वहीं प्रति सैकड़ा चांदी का सिक्का ढाई लाख रुपये तक पहुंच गया है। बीते वर्ष इसी अवधि में चांदी की कीमत करीब पचहत्तर हजार पांच सौ रुपये प्रति किलोग्राम थी। इस बेतहाशा बढ़ोतरी ने चांदी को आम उपभोक्ताओं के बजट से बाहर कर दिया है।
महिलाओं का कहना है कि बढ़ती कीमतों के कारण अब भारी आभूषणों की जगह हल्के और डिजाइनदार गहनों को प्राथमिकता दी जा रही है। आरती चौहान बताती हैं कि दाम बढ़ने से पसंद बदलनी पड़ रही है। वहीं श्वेता पाठक का कहना है कि महंगाई के कारण त्योहारों और शादी विवाह के लिए आभूषण खरीदना लगातार कठिन होता जा रहा है। व्यापारियों के अनुसार दामों में स्थिरता न होने से न तो ग्राहक खरीदारी का मन बना पा रहे हैं और न ही व्यापारी सही ढंग से कारोबार कर पा रहे हैं। गोदौलिया के कारोबारी अनिकेश गुप्ता का कहना है कि करीब तीस साल पहले सोना तीन हजार रुपये प्रति दस ग्राम था और आज चांदी की कीमत ही दो हजार रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच गई है जिससे कामकाज पर सीधा असर पड़ा है।