वाराणसी: रामनगर-मजदूर युवक की संदिग्ध पिटाई से मौत, मालिक पर परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

वाराणसी के रामनगर में टाइल्स कारीगर त्रिलोकी चौहान की संदिग्ध पिटाई से मौत हुई है, परिजनों ने मालिक पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

Sun, 24 Aug 2025 00:01:14 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: रामनगर/मेहनतकश मजदूरों की जिंदगी अक्सर संघर्षों से भरी होती है, पर कभी-कभी यही संघर्ष उनकी जान ले लेता है। रामनगर थाना क्षेत्र में 35 वर्षीय मजदूर त्रिलोकी चौहान उर्फ बांगे की संदिग्ध हालात में मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। गोलाघाट निवासी त्रिलोकी अपने परिवार का पेट पालने के लिए औराई (मिर्जापुर) में एक ठेकेदार के साथ काम करने गया था। परिजनों का आरोप है कि वहीं पर उसकी बेरहमी से पिटाई की गई, जिसके घाव आखिरकार उसकी जिंदगी को निगल गए।

मामला 21 अगस्त का बताया जा रहा है। परिजनों के अनुसार जब त्रिलोकी काम से वापस घर लौटा तो उसके चेहरे और शरीर पर चोटों के स्पष्ट निशान थे। उसकी मां ने जब वजह पूछी तो उसने रोते हुए बताया कि काम के दौरान मालिक और उसके लोगों ने उसे बुरी तरह मारा-पीटा है। गरीब परिवार होने के कारण वह बड़े अस्पताल नहीं जा सका और पास के ही स्थानीय डॉक्टर से दवा लेकर घर लौट आया। लेकिन शनिवार की शाम अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे तत्काल लाल बहादुर शास्त्री चिकित्सालय, रामनगर लेकर पहुंचे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

त्रिलोकी की मौत की खबर घर पहुंचते ही मातम का माहौल छा गया। बूढ़ी मां और परिवारवालों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों का कहना है कि त्रिलोकी ही घर का एकमात्र सहारा था। मजदूरी कर वह न सिर्फ अपने परिवार का पेट पालता था, बल्कि अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी सपने देखता था। लेकिन अब उसका सपना अधूरा रह गया।

मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने आक्रोशित होकर रामनगर थाने में प्रदर्शन किया। सभी की मांग थी कि आरोपी मालिक और संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई की जाए। गुस्साए लोगों को थाना प्रभारी दुर्गा सिंह ने जैसे-तैसे करके शांत करवाया और उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

त्रिलोकी चौहान की मौत न सिर्फ एक परिवार का सहारा छीन ले गई, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर गई है कि गरीब मजदूरों की सुरक्षा और सम्मान आखिर कब तक ठेकेदारों और मालिकों की मनमानी पर निर्भर रहेगा। हर दिन लाखों मजदूर अपने पसीने से शहरों और गांवों को सजाते हैं, लेकिन अक्सर उनके हक और उनकी जान की कीमत पर कोई ध्यान नहीं देता।

स्थानीय लोग अब इस मामले को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं। वे कहते हैं कि त्रिलोकी की मौत एक मिसाल बने और दोषियों पर ऐसी सख्त कार्रवाई हो, जिससे आगे कोई भी मजदूर अत्याचार का शिकार न हो। परिवार की करुण पुकार और समाज का आक्रोश इस बात का सबूत है कि अब मजदूरों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा पर गंभीरता से कदम उठाना जरूरी है।

यह दर्दनाक घटना एक चेतावनी भी है। मजदूरी कर परिवार चलाने वाले श्रमिक केवल कामगार नहीं हैं, बल्कि अपने परिवारों की रीढ़ हैं। उनकी सुरक्षा, सम्मान और न्याय सुनिश्चित करना समाज और प्रशासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

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