Thu, 18 Sep 2025 11:32:44 - By : Shriti Chatterjee
वाराणसी जिले के मिर्जामुराद क्षेत्र में रहने वाले 22 वर्षीय रहमान शाह की सऊदी अरब में आत्महत्या की खबर से परिवार और गांव में गहरा शोक फैल गया है। बुधवार की सुबह यह सूचना जब परिजनों तक पहुंची तो घर का माहौल गमगीन हो गया। रहमान ने हाल ही में बेहतर रोजगार की तलाश में सऊदी अरब का रुख किया था लेकिन कुछ ही दिनों बाद यह दर्दनाक घटना घट गई।
गौर गांव निवासी रहमान शाह अपने पिता सचाऊ शाह के तीन बेटों में सबसे छोटे थे। उनका विवाह नहीं हुआ था और 12 सितंबर को वे इस्तराहा वीजा पर सऊदी अरब गए थे। परिवार को बुधवार सुबह करीब दस बजे जानकारी मिली कि रहमान ने फांसी लगाकर जान दे दी है। यह सूचना उन्हें दुबई से मिली। अचानक हुई इस घटना ने पूरे परिवार को स्तब्ध कर दिया है।
परिजनों ने शव को भारत लाने की गुहार लगाई है। इसके लिए वे सेवापुरी विधायक डॉ. नीलरतन पटेल के आवास पहुंचे और उनकी प्रतिनिधि अदिति पटेल को पूरी घटना से अवगत कराया। अदिति पटेल ने उनकी व्यथा सुनने के बाद तुरंत जिलाधिकारी को पत्र लिखा और परिजनों को उनसे मिलने के लिए भेजा। रात करीब आठ बजे परिवार जिलाधिकारी आवास पहुंचा और विधायक के लेटर हेड पर लिखा पत्र वहां मौजूद अधिकारियों को सौंप दिया। अब परिजन उम्मीद कर रहे हैं कि सरकारी स्तर पर पहल करके शव को जल्द से जल्द भारत लाया जाएगा।
घटना से पहले रहमान ने एक वीडियो भी बनाया था जिसने सभी को विचलित कर दिया है। वीडियो में उन्होंने हाथ में सऊदी अरब की मुद्रा लेकर फिल्म नाम के गीत चिट्ठी आई है पर लिप सिंक किया है। गीत के उस हिस्से को उन्होंने चुना जिसमें पंक्तियां आती हैं कि इस पैसे ने देश छुड़ाया, देश पराया छोड़ के आ जा। यह वीडियो उन्होंने अपने दोस्तों को भेजा था। वीडियो सामने आने के बाद उनके भीतर चल रही पीड़ा और मजबूरी को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं।
रहमान की पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद साधारण है। उनकी मां का पहले ही निधन हो चुका है। पिता रिक्शा चलाकर किसी तरह घर का खर्च चलाते हैं। बड़ा भाई मोबिन शाह पुणे में काम करता है जबकि दूसरा भाई अलताब शाह घर पर रहकर ऑटो चलाता है। दो बहनों की शादी पहले ही हो चुकी है। रहमान के जाने के बाद अब परिवार पूरी तरह टूट गया है और सबसे बड़ी चिंता यह है कि परदेश में मृत बेटे का शव कैसे घर लाया जाए।
गांव में लोग भी घटना से आहत हैं और परिवार के साथ खड़े हैं। रहमान की कहानी उन युवाओं की कठिनाई को भी उजागर करती है जो परिवार की जिम्मेदारियां उठाने के लिए विदेश जाते हैं लेकिन वहां अकेलेपन और संघर्ष के बीच मानसिक दबाव में आ जाते हैं। अब सबकी निगाहें प्रशासनिक स्तर पर की जाने वाली कार्यवाही पर टिकी हैं ताकि शव को जल्द से जल्द भारत लाकर अंतिम संस्कार कराया जा सके।