Wed, 10 Dec 2025 13:52:19 - By : Palak Yadav
वाराणसी के लोहता थाना क्षेत्र में सामने आया एक संवेदनशील मामला समाज और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। बनकट गांव के 30 वर्षीय युवक राहुल मिश्रा की आत्महत्या ने न केवल उसके परिवार को शोक में डुबो दिया, बल्कि एक ऐसा वीडियो भी पीछे छोड़ दिया है जिसने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। राहुल ने फंदे पर झूलने से पहले सात मिनट तीस सेकंड का एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें उसने अपने टूटते रिश्ते, घरेलू कलह और भारतीय दंड संहिता की धारा 498A के कथित दुरुपयोग को लेकर अपनी पीड़ा को विस्तार से बताया।
वीडियो में राहुल ने कहा कि उसने प्रेम विवाह किया था और अपने परिवार, पत्नी और बच्चे की खुशहाल जिंदगी के लिए लगातार संघर्ष करता रहा। पांच वर्ष पहले उसने लखनपुर की संध्या सिंह से प्रेम विवाह किया था। परिजनों का कहना है कि शादी के बाद से ही संध्या का गांव के ही युवक शुभम सिंह उर्फ डेंजर से संबंध बना रहा, जिसने कई बार राहुल को धमकाया और तलाक देने के लिए दबाव बनाया।
राहुल की मां रानी देवी ने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया है कि संध्या, शुभम और संध्या की मां मांडवी की निरंतर प्रताड़ना के कारण ही राहुल ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। उन्होंने बताया कि उनका बेटा अपने ससुराल गया था ताकि पत्नी और अपने डेढ़ साल के बेटे रेयांस को घर लेकर आ सके, लेकिन संध्या ने आने से साफ इंकार कर दिया। इसके बाद कथित रूप से शुभम और संध्या दोनों ने राहुल पर तलाक के लिए दबाव बनाया और न मानने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी।
रविवार को राहुल ने घर लौटने के बाद खुद को कमरे में बंद किया और कुछ देर बाद उसका शव फंदे से लटका मिला। वीडियो सामने आने के बाद मामला और गंभीर हो गया, जिसमें राहुल ने साफ तौर पर कहा कि उसकी मौत के लिए संध्या, शुभम और मांडवी जिम्मेदार हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और कमरे से मिले सबूतों को कब्जे में लिया गया। थाना प्रभारी राजबहादुर मौर्य के अनुसार, रानी देवी की तहरीर पर तीनों आरोपियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। हालांकि सभी आरोपी फिलहाल फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
इस पूरे प्रकरण का सबसे चौंकाने वाला पहलू वह वीडियो है, जिसमें राहुल ने रिश्तों के टूटने, मानसिक तनाव, सामाजिक दबाव और धारा 498A के कथित दुरुपयोग से जुड़े सवाल उठाए हैं। इससे पहले भी देश में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां पारिवारिक विवादों के कारण युवा मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।
राहुल अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, जिससे परिवार पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा है। उसकी मां का कहना है कि यदि समय रहते उसे न्याय या उचित सुरक्षा मिलती, तो शायद आज वह जिंदा होता।
यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था के सामने खड़ा एक बड़ा सवाल भी है। क्या कानून का उद्देश्य पीड़ित को सुरक्षा देना है या कभी-कभी वह किसी अन्य निर्दोष को मानसिक यातना देने का साधन बन जाता है? घरेलू विवादों में बढ़ती जटिलता और सोशल स्ट्रक्चर में बदलते रिश्ते इस तरह की घटनाओं को और बढ़ा रहे हैं।
राहुल की अंतिम यात्रा का यह वीडियो प्रेम, विश्वास और टूटते रिश्तों का एक कड़वा सच बनकर सामने आया है। यह बताता है कि एक पल का मानसिक तनाव किसी की पूरी जिंदगी को खत्म कर सकता है। यह घटना समाज से यह अपेक्षा भी करती है कि संवेदनशील मामलों में संवाद, सहयोग और मनोवैज्ञानिक सहायता को प्राथमिकता दी जाए ताकि कोई भी व्यक्ति खुद को इतना अकेला न महसूस करे कि उसे अपनी जान ही देनी पड़े।