Tue, 16 Sep 2025 18:25:27 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर कस्बे में डाइबटीज़ जागरूकता को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल सामने आई, जब YRG CARE (Y.R. Gaitonde Centre for AIDS Research and Education) ने पुराना रामनगर स्थित वार्ड 65 के कॉम्पोज़िट स्कूल में सामुदायिक बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में सैकड़ों लोगों की उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं को लेकर लोगों की संवेदनशीलता और जागरूकता तेजी से बढ़ रही है।
इस कार्यक्रम की सफलता का बड़ा श्रेय YRG CARE को जाता है, जो एक गैर-लाभकारी स्वास्थ्य संगठन है। इसकी स्थापना 1993 में हुई थी और शुरुआती दौर में इसका फोकस एचआईवी/एड्स के मरीजों की मदद पर था। समय के साथ इस संस्था ने अपनी कार्यसीमा को और व्यापक बनाते हुए डाइबटीज़, कैंसर, मानसिक स्वास्थ्य, महिला एवं बाल स्वास्थ्य जैसे कई गंभीर क्षेत्रों पर काम करना शुरू किया। संस्था का उद्देश्य न केवल मरीजों को उपचार उपलब्ध कराना है, बल्कि उन्हें जागरूक कर समाज को बीमारियों के खिलाफ सशक्त बनाना भी है।
रामनगर में हुई इस बैठक का संचालन सामाजिक सहभागिता और जागरूकता के दृष्टिकोण से किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में रामनगर वार्ड 65 के पार्षद रामकुमार यादव मौजूद थे। उनके साथ स्कूल के प्रिंसिपल अजय कुमार तिवारी, प्लान इंडिया संस्था से श्रीमती संगीता ओझा, YRG CARE के जिला समन्वयक अभिषेक मिश्रा और फील्ड ऑफिसर रूपेश दुबे भी मंच पर उपस्थित रहे। वहीं क्षेत्र के सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं, रहमत अली, मौशीन, आरिफ, मिथिलेश, जितेंद्र और सूरज ने भी कार्यक्रम में अपनी अहम भूमिका निभाई।
सभा को संबोधित करते हुए पार्षद रामकुमार यादव ने कहा कि डाइबटीज़ आज केवल एक बीमारी नहीं बल्कि समाज के सामने एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने कहा, "भागदौड़ भरी जिंदगी में खानपान और दिनचर्या के असंतुलन ने इस बीमारी को हर घर तक पहुंचा दिया है। हमें लोगों को जागरूक कर स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की दिशा में प्रेरित करना होगा। यही इसका सबसे कारगर बचाव है।" यादव ने लोगों से अपील की कि वे नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराएं और डॉक्टरों की सलाह को अनदेखा न करें।
कॉम्पोज़िट स्कूल के प्रिंसिपल अजय कुमार तिवारी ने कहा, कि शिक्षा और स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और दोनों के बिना समाज की प्रगति अधूरी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों को बचपन से ही स्वस्थ आदतों और संतुलित आहार का महत्व बताया जाना चाहिए। उनके अनुसार, यदि आने वाली पीढ़ी को डाइबटीज़ जैसी बीमारियों से बचाना है तो इसकी शुरुआत अभी से करनी होगी।
प्लान इंडिया संस्था की प्रतिनिधि श्रीमती संगीता ओझा ने उपस्थित लोगों को डाइबटीज़ के लक्षण, बचाव और इलाज के पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया, कि "डाइबटीज़ अक्सर धीरे-धीरे शरीर में विकसित होती है और कई लोग समय रहते इसका पता नहीं लगा पाते। यही वजह है कि नियमित जांच, संतुलित भोजन और व्यायाम जैसे छोटे-छोटे कदम बेहद जरूरी हो जाते हैं।"
YRG CARE के जिला समन्वयक अभिषेक मिश्रा और फील्ड ऑफिसर रूपेश दुबे ने तकनीकी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह ब्लड शुगर का असंतुलन शरीर को प्रभावित करता है और कौन-सी आदतें डाइबटीज़ के खतरे को बढ़ा सकती हैं। उन्होंने जागरूकता को ही इस चुनौती से निपटने का सबसे मजबूत हथियार बताया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताएं, सहायिकाएं और युवा शामिल हुए। सभा के अंत में विशेषज्ञों ने लोगों से व्यक्तिगत बातचीत की और उनके सवालों के जवाब दिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य परीक्षण और परामर्श की विशेष व्यवस्था भी की गई, जिससे कई प्रतिभागियों ने सीधे लाभ उठाया।