Thu, 13 Nov 2025 13:51:26 - By : Tanishka upadhyay
हर साल 14 नवंबर को दुनिया भर में World Diabetes Day मनाया जाता है। भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है और अब बड़े ही नहीं, छोटे बच्चे भी इसके शिकार हो रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज डरने वाली बीमारी नहीं, बल्कि समझदारी और अनुशासन से नियंत्रित की जा सकने वाली स्थिति है। समय पर जांच, संतुलित आहार और दवाओं के सही उपयोग से हर मरीज एक सामान्य और सुरक्षित जीवन जी सकता है।
आगरा के डायबिटीज विशेषज्ञ डॉ. प्रखर गुप्ता बताते हैं कि भारत में डायबिटीज चुपचाप बढ़ने वाली महामारी बन चुकी है। उनकी मानें तो सही दिशा में कदम बढ़ाया जाए तो डायबिटीज मरीज लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। कई लोग भ्रम में रहते हैं कि कुछ हकीम या ऑनलाइन दावे डायबिटीज को जड़ से खत्म कर सकते हैं, जबकि सच्चाई यह है कि यह बीमारी खत्म नहीं होती, लेकिन पूरी तरह नियंत्रित की जा सकती है।
डॉ. गुप्ता कहते हैं कि डायबिटीज को नियंत्रण में रखने के लिए पांच मूल नियम बेहद जरूरी हैं। इनमें उचित और संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, व्यायाम, आवश्यकता होने पर दवाओं का सही सेवन और समय-समय पर जांच शामिल है। दवाओं का उपयोग दशकों के शोध और सुरक्षित परिणामों पर आधारित है और इन्हें इसलिए दिया जाता है कि शरीर पर डायबिटीज के नुकसान कम हों।
विशेषज्ञों का कहना है कि डायबिटीज का सबसे बड़ा खतरा यह है कि इसके नुकसान दर्दरहित होते हैं। बढ़ी हुई शुगर शरीर के भीतर दीमक की तरह असर डालती है और आंखों, किडनी, दिल, दिमाग और नसों को धीरे-धीरे प्रभावित करती रहती है। ऐसे में मरीज तब तक गंभीरता को नहीं समझते, जब तक स्थिति बिगड़ न जाए। इसलिए हर तीन महीने में HbA1c जांच और नियमित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है।
डायबिटीज मैनेजमेंट में लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी है। विशेषज्ञ खाली पेट शुगर 80 से 130 mg/dl, भोजन के बाद 140 से 180 mg/dl, HbA1c सात प्रतिशत से कम रखने और एलडीएल कोलेस्ट्रॉल सौ से कम रखने की सलाह देते हैं। साथ ही ब्लड प्रेशर 130/80 से नीचे रहना चाहिए। इन लक्ष्यों को नियमित व्यायाम, दवा और नियंत्रित खानपान से हासिल किया जा सकता है।
डॉ. गुप्ता बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा में डायबिटीज का इलाज मुश्किल नहीं रहा। अब उपचार पूरी तरह मरीज की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार तैयार होता है। इससे न सिर्फ शुगर कंट्रोल होता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार आता है। इलाज का उद्देश्य मरीज को उसकी दिनचर्या, काम और परिवार के साथ सक्रिय जीवन जीने में सक्षम बनाना है।विशेषज्ञों का कहना है कि यदि मरीज अपने स्वास्थ्य के आंकड़ों पर नजर रखें, नियमित जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह का पालन करें, तो डायबिटीज जीवन में बोझ नहीं बनती। बल्कि अनुशासन के साथ यह पूरी तरह नियंत्रित रह सकती है।