Tue, 07 Oct 2025 10:58:28 - By : Garima Mishra
वाराणसी: काशी विश्वनाथ धाम में आयोजित निमाई पाठशाला में देशभर से आए युवाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और अध्यात्म के अनूठे अनुभव का आनंद लिया। इस चार दिवसीय कार्यक्रम में लगभग 800 युवाओं ने काशी ऊर्जा को अपने अंतर्मन में समाहित किया। हरिकीर्तन, ध्यान, हंसी और आंसुओं के माध्यम से युवाओं ने भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम देखा। इस अवसर पर गौड़िया संप्रदाय के 38वें आचार्य पुंडरीक स्वामी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
निमाई पाठशाला का प्रारंभ दो अक्तूबर को पुंडरीक गोस्वामी महाराज और रेनुका गोस्वामी के सानिध्य में हुआ। काशी विश्वनाथ धाम से गंगा तक निकाली गई पैदल यात्रा में युवाओं ने हरिकीर्तन का ज्वलंत प्रदर्शन किया। अस्सी घाट पर प्रतीकात्मक होली उत्सव में गंगा के जल और मिट्टी से नृत्य करते हुए सभी प्रतिभागियों ने भक्ति और उल्लास का माहौल बनाया। इस दौरान काशी के स्थानीय नागरिक भी उत्सव में शामिल हुए और युवाओं की ऊर्जा का हिस्सा बने।
कार्यक्रम के दौरान विश्वनाथ धाम में विधि-विधान से महाभिषेक कर बाबा विश्वनाथ से विश्व शांति और जनकल्याण की कामना की गई। इसके उपरांत शंकराचार्य चौक स्थित कैंप में भक्तों के साथ हरे कृष्णा हरे राम का भजन-कीर्तन किया गया। इसके अलावा युवाओं ने काशी के प्रमुख मंदिरों जैसे गोपाल मंदिर, बिंदु माधव मंदिर, काल भैरव मंदिर, राधा रमण मंदिर, गोपाल मंदिर चौखंभा, तुलसी मानस मंदिर और संकट मोचन मंदिर में दर्शन-पूजन किया। रात में पंचगंगा घाट पर आयोजित हरिनाम संकीर्तन ने पूरे शहर को भक्तिरस में सराबोर कर दिया।
संस्था के सिद्धार्थ तिवारी ने बताया कि निमाई पाठशाला का यह आयोजन पहली बार काशी में हुआ है। इससे पहले पुरी और वृंदावन में इसका आयोजन किया जा चुका है। हर साल मार्च में आयोजित चयन प्रक्रिया के माध्यम से देश भर से युवाओं का चयन किया जाता है, और इस वर्ष 200 युवाओं ने इस परीक्षा को उत्तीर्ण किया। आयोजकों ने कहा कि सभी प्रतिभागियों के लिए निशुल्क व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी, जिससे युवा निश्छल मन से भक्ति और अध्यात्म में डूब सके। इस पाठशाला ने स्पष्ट संदेश दिया कि जब युवा और भक्ति साथ चलते हैं तो समाज में सकारात्मक परिवर्तन की ऊर्जा उत्पन्न होती है।