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बापटला: ग्रेनाइट खदान हादसे में छह मजदूरों की मौत, तीन गंभीर रूप से घायल

बापटला: ग्रेनाइट खदान हादसे में छह मजदूरों की मौत, तीन गंभीर रूप से घायल

आंध्र प्रदेश के बापटला में ग्रेनाइट खदान में चट्टान गिरने से छह मजदूरों की मौत हुई, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए।

आंध्र प्रदेश: बापटला जिले में रविवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब मार्शलपट्टनम मंडल के चिम्मनायुडुपालेम गांव स्थित एक ग्रेनाइट खदान में काम कर रहे मजदूरों पर भारी चट्टान गिर गई। इस भीषण दुर्घटना में छह प्रवासी मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। मृतक सभी मजदूर ओडिशा से आए थे और खदान में दैनिक मजदूरी पर कार्यरत थे। हादसे के समय सुबह करीब 10:30 बजे खदान में 10 से 15 श्रमिक काम कर रहे थे, जब अचानक एक विशाल चट्टान टूटकर उनके ऊपर आ गिरी।

पुलिस और राहत कर्मियों के अनुसार, चट्टान के गिरने का प्राथमिक कारण बारिश के कारण मिट्टी और चट्टानों का कमजोर होना बताया जा रहा है। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि बारिश के पानी के रिसाव से चट्टानें ढीली पड़ गई थीं, जिससे अचानक धंसान हुआ और श्रमिक मलबे में दब गए। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि घटना के समय न तो कोई विस्फोट किया जा रहा था, न ही किसी तरह की भूगर्भीय गतिविधि रिकॉर्ड की गई। फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम को भी घटनास्थल पर भेजा गया है, जो हादसे के सटीक कारणों की वैज्ञानिक जांच कर रही है।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस, दमकल विभाग और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया गया। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। जिला प्रशासन द्वारा मलबे में फंसे अन्य श्रमिकों को निकालने के लिए जेसीबी मशीनों की मदद ली गई और बचाव कार्य देर शाम तक जारी रहा।

स्थानीय लोगों और श्रमिक संगठनों ने इस हादसे पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए सरकार से मृतकों के परिजनों को उचित मुआवजा देने और घायलों के इलाज की संपूर्ण व्यवस्था करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि प्रवासी मजदूर बेहद कठिन परिस्थितियों में कम संसाधनों के साथ खतरनाक कार्य कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा था। कई संगठनों ने खदान मालिक और संबंधित ठेकेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस घटना को 'अत्यंत दुखद और अस्वीकार्य' बताया। उन्होंने कहा, "मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा दी जाए और मृतकों के परिवारों को तत्काल राहत पहुंचाई जाए। इस हादसे की विस्तृत जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।" मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को सहायता राशि और अन्य लाभों की घोषणा जल्द करने का संकेत दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख वाई. एस. जगन मोहन रेड्डी ने भी इस हृदयविदारक हादसे पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने बयान में कहा, "ये मजदूर अपने परिवारों का पेट पालने के लिए राज्य में काम कर रहे थे और इस तरह उनका जीवन यूं खत्म हो जाना अत्यंत पीड़ादायक है। सरकार को तुरंत सभी घायलों का इलाज सुनिश्चित करना चाहिए और मृतकों के परिजनों को आर्थिक सुरक्षा देनी चाहिए।"

खनन विभाग ने भी घटनास्थल का दौरा किया और वहां की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। शुरुआती रिपोर्ट में यह भी संकेत मिला है कि खदान संचालन के दौरान सुरक्षा मानकों और मजदूरों की सुरक्षा के लिए तय दिशा-निर्देशों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया था। विभागीय अधिकारी अब खदान की सभी गतिविधियों की जांच कर रहे हैं और दुर्घटना में लापरवाही की पुष्टि होने पर लाइसेंस निरस्त करने की संभावना जताई जा रही है।

फिलहाल राहत कार्य जारी है और स्थानीय प्रशासन द्वारा मृतकों की पहचान और उनके परिवारों से संपर्क की प्रक्रिया की जा रही है। यह हादसा न केवल सुरक्षा मानकों की अनदेखी को उजागर करता है, बल्कि प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर भी एक गहरी बहस छेड़ता है, जो देशभर में जोखिमभरे कार्यों में अपनी जान दांव पर लगाकर काम कर रहे हैं।

सरकार और प्रशासन की अग्निपरीक्षा इसी में है कि वे न केवल इस हादसे के पीछे के कारणों को उजागर करें, बल्कि यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसे हादसे दोहराए न जाएं।

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