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वाराणसी: रामनगर- मनसा माता मंदिर में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाया गया

वाराणसी: रामनगर- मनसा माता मंदिर में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाया गया

रामनगर के मनसा माता मंदिर में असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य का जन्मदिन भक्ति और जनसमर्थन के साथ धूमधाम से मनाया गया।

वाराणसी: रामनगर/धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से ओतप्रोत रामनगर का प्रसिद्ध मनसा माता मंदिर शुक्रवार को एक अद्वितीय और अविस्मरणीय आयोजन का साक्षी बना। यहाँ असम के राज्यपाल और काशी के सुपुत्र महामहिम लक्ष्मण आचार्य का जन्मदिन बड़े ही हर्षोल्लास, श्रद्धा और जनसमर्थन के बीच मनाया गया। पूरा मंदिर परिसर भक्ति संगीत, जयघोष और आत्मीयता से ऐसा सराबोर हो गया मानो माँ मनसा देवी स्वयं अपने आँगन में इस महोत्सव का संचालन कर रही हों।

कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन-कीर्तन से हुआ। भक्ति रस में डूबे इन सुरों ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। इसके बाद उपस्थित जनसमूह ने लक्ष्मण आचार्य के चित्र पर तिलक और अक्षत चढ़ाए तथा लड्डू खिलाकर जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीं। मंदिर प्रांगण में उपस्थित हर व्यक्ति के चेहरे पर प्रसन्नता और गर्व झलक रहा था कि उनके बीच का एक साधारण परिवार से निकलकर देश की राजनीति और प्रशासन के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचा है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और काशी क्षेत्र अध्यक्ष श्री दिलीप पटेल ने कहा, "लक्ष्मण आचार्य जी का जीवन गरीब, शोषित, वंचित और दलित समाज के लिए एक जीती-जागती मिसाल है। उन्होंने कठिन संघर्ष, सादगी और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर यह मुकाम हासिल किया है। आज वे न केवल रामनगर बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।"

हमारे संवाददाता से बात करते हुए रितेश पाल ने बताया कि "हमारे आदर्श मार्गदर्शक गुरूजी का व्यक्तित्व जितना सरल है, उनकी उपलब्धियाँ उतनी ही ऊँची हैं। साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने समाज और राष्ट्र के लिए जो सेवा की है, वह उन्हें विश्वस्तर पर विशिष्ट बनाती है। रामनगर और काशी का हर नागरिक उन पर गर्व करता है।"

विशिष्ट अतिथि और पूर्व मंत्री दीनानाथ भास्कर ने कहा, "महामहिम लक्ष्मण आचार्य जी आज संपूर्ण जनमानस के प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। उनकी कार्यशैली और त्यागमय जीवन हमें यह सिखाता है कि दृढ़ निश्चय और सत्यनिष्ठा से कुछ भी असंभव नहीं है।"

समारोह में उपस्थित अतिथियों में नागेंद्र रघुवंशी, आशा गुप्ता, मधुकर पांडे, सुरेश सिंह, संतोष द्विवेदी, सृजन श्रीवास्तव, अशोक जायसवाल, सत्येंद्र "पिंटू" सिंह, अनुपम गुप्ता, अमूल सिन्हा, जितेंद्र पांडे, अजय प्रताप सिंह, मोनिका यादव, मनोज यादव, रितेश पाल, गौरव गुप्ता, अनिरुद्ध कनौजिया, कंचन निषाद, राजकुमार सिंह, जय सिंह चौहान, लव कुमार, अंकित राय, विनोद पटेल सहित बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और समाजसेवी उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर से प्रार्थना की कि "महामहिम दीर्घायु हों, सदा स्वस्थ और प्रसन्न रहें।"

जन्मदिन उत्सव का सबसे भावुक क्षण तब आया जब उपस्थित जनसमूह ने एक साथ माँ मनसा देवी से प्रार्थना की। मंदिर प्रांगण भक्ति गीतों और जयकारों से गूंज उठा। लोगों ने एक-दूसरे को लड्डू खिलाकर न केवल जन्मदिन की खुशियाँ साझा कीं, बल्कि यह संदेश भी दिया कि आचार्य जी का जीवन समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए आशा और विश्वास का प्रतीक है।

लक्ष्मण आचार्य का जीवन गहन संघर्ष और समर्पण की कहानी है। रामनगर की गलियों से निकलकर राष्ट्रीय राजनीति तक पहुँचना आसान नहीं था। छात्र राजनीति से लेकर भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न पदों तक उनका सफर यह साबित करता है कि सादगी, तपस्या और सेवा भाव से व्यक्ति राष्ट्र का मार्गदर्शक बन सकता है। आज असम के राज्यपाल के रूप में वे केवल संवैधानिक प्रमुख नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों के लिए एक "आदर्श पुरुष" के रूप में देखे जाते हैं।

रामनगर का यह जन्मदिन उत्सव केवल एक समारोह भर नहीं था, बल्कि यह उस तप और तपस्या की गाथा का उत्सव था जिसने लक्ष्मण आचार्य को साधारण नागरिक से असम का राज्यपाल और समाज के प्रेरणा पुरुष के रूप में स्थापित किया। मंदिर प्रांगण से लेकर जनमानस तक, हर ओर एक ही भाव स्पष्ट था, "काशी का यह लाल, राष्ट्र का गौरव है।"

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