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बलिया के ददरी मेला में आध्यात्मिकता और परंपरा का अनोखा संगम, संत देंगे उपदेश

बलिया के ददरी मेला में आध्यात्मिकता और परंपरा का अनोखा संगम, संत देंगे उपदेश

बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला में 25 संप्रदायों के संत देंगे धर्मोपदेश, खेलकूद प्रतियोगिताएं भी युवाओं को खींच रहीं।

बलिया के ऐतिहासिक ददरी मेला में इस वर्ष आध्यात्मिकता और परंपरा का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। मेला परिसर में जहां एक ओर संत समागम का आयोजन किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर खेलकूद प्रतियोगिताएं भी युवाओं में उत्साह भर रही हैं। इस बार संत समागम में लगभग 25 संप्रदायों के प्रतिष्ठित धर्मगुरु शामिल हो रहे हैं, जो अपने उपदेशों से श्रद्धालुओं को धर्म, शांति और सद्भाव का संदेश देंगे।

ददरी मेला क्षेत्र में आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर एक बड़े आध्यात्मिक उत्सव जैसा बन गया है। संत समागम में पूज्य श्री रामाशंकर दास जी महाराज (कामेश्वरधाम), महामंडलेश्वर कौशलेन्द्र गिरि जी (श्रीनाथ मठ रसड़ा), श्री बालकदास जी महाराज (लखनेश्वरडीह), श्री अमरजीत जी महाराज (शिवनारायणी पंथ), श्री राजीवानन्द जी महाराज (उदासीन पंथ नागाजी मठ), ब्रह्माकुमारी उमा बहन, श्री गुरुप्रीत सिंह जी (रागी हजूरी सिक्ख पंथ), श्री बिजेंद्र नाथ चौबे जी (गायत्री परिवार), आचार्य ज्ञानप्रकाश वैदिक जी (आर्य समाज), आनंद गौरांग दास जी (श्रीकृष्णाभक्तामृत इस्कॉन), श्री रामगोपाल जी (विहंगम योग उपादेष्टा) और भंते राहुल जी (बौद्ध धम्म) जैसे प्रमुख संत उपदेश देंगे। इन सभी धर्मगुरुओं ने अपने अनुयायियों से संत समागम में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने का आह्वान किया है।

मेला प्रशासन ने बताया कि इस बार संत समागम के साथ-साथ खेलकूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है, ताकि युवा वर्ग को खेलों के माध्यम से प्रेरित किया जा सके। खेलकूद कार्यक्रम में इस बार कबड्डी और खो-खो जैसी पारंपरिक खेलों को भी शामिल किया गया है। मेला प्रभारी और सीआरओ त्रिभुवन ने बताया कि संशोधित कार्यक्रम के अनुसार 12 नवंबर को वॉलीबॉल, 13 नवंबर को कबड्डी, 15 नवंबर को खो-खो, 17 नवंबर को फुटबॉल और 19 नवंबर को हॉकी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

ददरी मेला खेल परिसर में वॉलीबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ भाजपा जिलाध्यक्ष संजय मिश्रा के मुख्य आतिथ्य में होगा। आयोजन समिति ने बताया कि खेलों में जिलेभर से टीमें भाग लेंगी और विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।

ददरी मेला हमेशा से बलिया की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक रहा है। इस वर्ष संत समागम और खेलकूद दोनों का संयोजन मेले को और अधिक जीवंत बना रहा है। जहां साधु-संतों के प्रवचन श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान कर रहे हैं, वहीं खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन से युवाओं में नई ऊर्जा और जोश का संचार हो रहा है।

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