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काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल, छात्र हुए आक्रोशित

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था पर फिर सवाल, छात्र हुए आक्रोशित

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, जहां छात्र और डॉक्टर लगातार घटनाओं पर असंतोष जता रहे हैं।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। एशिया के सबसे बड़े आवासीय विश्वविद्यालय में लगातार घटनाएं सामने आने के बाद छात्र असंतोष व्यक्त कर रहे हैं। हाल ही में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने कुलपति को एक पत्र सौंपकर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इसके साथ ही छात्रों ने कुछ बाउंसरों पर भी मारपीट के आरोप लगाए हैं। बीते दिनों दो प्रतिष्ठित प्रोफेसरों और डॉक्टरों पर हुए जानलेवा हमलों ने भी परिसर की सुरक्षा प्रणाली पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगाया है। छात्र संगठनों का कहना है कि विश्वविद्यालय में भारी बजट खर्च होने के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होती जा रही है।

फिलहाल बीएचयू की सुरक्षा दो निजी कंपनियों के हवाले है जिन्हें परिसर के विभिन्न हिस्सों की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है। प्रिंसिपल सिक्योरिटी एंड एलाइड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और एपी सिक्योरिटास प्राइवेट लिमिटेड के 948 सुरक्षा कर्मी विश्वविद्यालय में तैनात हैं। इनमें सुरक्षा पर्यवेक्षक, गनमैन और सुरक्षा गार्ड शामिल हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस वर्ष सुरक्षा मद में लगभग 44.50 करोड़ रुपये के खर्च को स्वीकृत किया है। इसमें सर सुंदरलाल अस्पताल के लिए 10 करोड़, ट्रामा सेंटर की सुरक्षा के लिए 13.50 करोड़ और अन्य इकाइयों के लिए करीब 21 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। इसके बावजूद कैंपस में होने वाली घटनाएं कम होने की बजाय बढ़ती दिखाई दे रही हैं और छात्रों का कहना है कि इतनी बड़ी राशि का उपयोग अपेक्षित नतीजे नहीं दे रहा।

प्राक्टोरियल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 से अगस्त 2025 तक विश्वविद्यालय परिसर में कुल 635 चोरी, 29 छेड़खानी, 195 मारपीट और 24 छिनैती की घटनाएं दर्ज हुई हैं। केवल वर्ष 2025 में जनवरी से अगस्त के बीच ही 64 चोरी, एक छेड़खानी, 32 मारपीट और दो छिनैती के मामले सामने आए हैं। इन आंकड़ों से साफ होता है कि सुरक्षा एजेंसियों की सक्रियता और निगरानी में गंभीर कमी है। सुरक्षा प्रबंधन की स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इतने बड़े परिसर और भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद केवल 19 पाकेटमार पकड़े जा सके और वह भी स्थानीय कर्मचारियों और आम जनता की मदद से।

बीएचयू की सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने भी विश्वविद्यालय परिसर, सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर और आईआईटी बीएचयू की सुरक्षा का विस्तृत सर्वे किया था। इस सर्वे की रिपोर्ट कुलपति को सौंप दी गई है और उस पर निर्णय की प्रतीक्षा है। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में पेट्रोलिंग बढ़ाने और अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि निगरानी बढ़ने से सुरक्षा को कुछ हद तक मजबूती मिलेगी, हालांकि छात्र इसे अधूरा उपाय मानते हैं।

छात्रों का कहना है कि समस्याओं का समाधान केवल तकनीकी साधनों से नहीं होगा। जरूरत है सुरक्षा कर्मियों की जवाबदेही तय करने की और प्राक्टोरियल बोर्ड की भूमिका को अधिक सख्त और सक्रिय बनाने की। उनका कहना है कि जब तक जिम्मेदार अधिकारी त्वरित कार्रवाई नहीं करेंगे और परिसर के संवेदनशील स्थानों पर कड़ी निगरानी नहीं होगी, तब तक घटनाओं में कमी आना मुश्किल है। छात्रों ने यह भी मांग की है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सुरक्षा के लिए खर्च की गई राशि और उसकी कार्यप्रणाली को पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक करे।

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