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चंदासी कोयला मंडी में 17 माह में 205 करोड़ की टैक्स चोरी उजागर, 9.98 करोड़ का हुआ टैक्स वसूल

चंदासी कोयला मंडी में 17 माह में 205 करोड़ की टैक्स चोरी उजागर, 9.98 करोड़ का हुआ टैक्स वसूल

चंदौली की चंदासी कोयला मंडी में 17 माह में 205 करोड़ की टैक्स चोरी का बड़ा खुलासा हुआ, जीएसटी एसआईबी ने 9.98 करोड़ टैक्स वसूला है।

चंदौली: पीडीडीयू नगर एशिया की सबसे बड़ी मानी जाने वाली चंदासी कोयला मंडी एक बार फिर सुर्खियों में है। यहां कोयले के कारोबार की आड़ में टैक्स चोरी का खेल लंबे समय से चल रहा है। कभी फर्जी फर्मों के जरिए तो कभी सब्सिडी वाले कोयले को अवैध तरीके से डंप करके करोड़ों का कारोबार टैक्स दायरे से बाहर किया जा रहा है। इस पूरे खेल ने न केवल सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पारदर्शी व्यापार की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए हैं।

आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि बीते 17 माह के दौरान जीएसटी एसआईबी (स्पेशल इंवेस्टिगेशन ब्रांच) ने लगातार कार्रवाई करते हुए 33 बार छापेमारी की। इस दौरान अधिकारियों ने 205.10 करोड़ रुपये के अवैध कोयला कारोबार का खुलासा किया। जांच के बाद विभाग ने 9.98 करोड़ रुपये का टैक्स वसूल किया। लगातार हो रही इस सख्ती से कोल मंडी में काम कर रहे व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है।

चंदासी मंडी का पैमाना समझना भी दिलचस्प है। यहां प्रतिदिन 800 से अधिक ट्रक कोयला लेकर पहुंचते हैं। मंडी में करीब 500 बड़े और छोटे व्यापारी सक्रिय हैं, जबकि दो सौ से अधिक डिपो बनाए गए हैं जहां कोयले का भंडारण किया जाता है। यहां से कोयला केवल देशभर में ही नहीं, बल्कि नेपाल तक भेजा जाता है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में चंदासी मंडी से ही आपूर्ति होती है। वहीं पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और असम से यहां प्रतिदिन कोयला आता है। कारोबार का दायरा इतना बड़ा है कि हर दिन औसतन 20 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार इसी मंडी से होता है।

जीएसटी एसआईबी की रिपोर्ट बताती है कि एक अप्रैल 2024 से 30 मार्च 2025 तक विभाग ने 24 बार छापेमारी की। इस दौरान 93.25 करोड़ रुपये का बिना टैक्स का कारोबार पकड़ा गया और 4.39 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में वसूल किया गया। वहीं इस साल एक अप्रैल से अगस्त 2025 तक सिर्फ पांच माह में 09 बार छापेमारी कर 111.85 करोड़ रुपये के अवैध कारोबार का भंडाफोड़ हुआ। इस अवधि में 5.59 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में जमा कराए गए।

विशेषज्ञ मानते हैं कि इस पैमाने पर टैक्स चोरी का सीधा असर सरकारी खजाने पर पड़ता है। सरकार जहां विकास योजनाओं के लिए अधिक से अधिक राजस्व जुटाने की कोशिश कर रही है, वहीं इस तरह के अवैध कारोबार से टैक्स चोरी का खेल व्यवस्था को कमजोर करता है।

फिलहाल लगातार हो रही छापेमारियों से व्यापारी सतर्क हो गए हैं, लेकिन विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब भी टैक्स चोरी की गतिविधियां पूरी तरह थमी नहीं हैं। विभाग की नजरें लगातार मंडी पर बनी हुई हैं और आने वाले दिनों में और भी कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

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