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दिल्ली: 1 जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन

दिल्ली: 1 जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को नहीं मिलेगा ईंधन

दिल्ली सरकार ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत 1 जुलाई 2025 से 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा।

दिल्ली: राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक महत्वपूर्ण और कड़ा कदम उठाया है। 1 जुलाई 2025 से दिल्ली और एनसीआर में पंजीकृत 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को अब पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। यह फैसला दिल्ली सरकार द्वारा लागू की जा रही नई पर्यावरणीय नीतियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शहर की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाना और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

नया नियम दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में संचालित सभी ऐसे वाहनों पर लागू होगा जो तय समय सीमा से अधिक पुराने हैं। दिल्ली सरकार ने इस दिशा में पहले ही विस्तृत तैयारी शुरू कर दी है। राजधानी के 500 से अधिक पेट्रोल पंपों पर अत्याधुनिक ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) कैमरे लगाए जा चुके हैं। इन कैमरों के माध्यम से वाहन की नंबर प्लेट स्कैन कर यह तुरंत पता लगाया जा सकेगा कि वाहन की उम्र कितनी है। अगर कोई वाहन प्रतिबंधित श्रेणी में आता है, तो उसे ईंधन नहीं दिया जाएगा।

अधिकारियों के अनुसार, ANPR कैमरों से मिली जानकारी को सीधे एक केंद्रीकृत डेटाबेस से जोड़ा गया है, जहां से वाहन का पंजीकरण वर्ष, ईंधन प्रकार और अन्य जानकारियाँ स्वतः मिल जाएंगी। यह तकनीक उन वाहनों की पहचान करने में मदद करेगी जो इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि नियम का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिसमें भारी जुर्माना, वाहन जब्ती और परिवहन लाइसेंस निरस्तीकरण जैसी सख्त सजा भी शामिल हो सकती है।

पर्यावरण विभाग और दिल्ली परिवहन विभाग इस पहल को लेकर लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। अधिकारी इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि यह प्रतिबंध केवल वाहनों के ईंधन भरवाने पर लागू नहीं होगा, बल्कि उन्हें सार्वजनिक सड़कों पर चलाने पर भी रोक है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और सुप्रीम कोर्ट के पुराने निर्देशों को ध्यान में रखते हुए इस नीति को अब और सख्ती से लागू किया जा रहा है।

सरकार के इस निर्णय से लाखों वाहन मालिकों को सीधे तौर पर असर पड़ेगा, खासकर उन लोगों को जो अभी भी पुराने निजी या व्यावसायिक वाहन चला रहे हैं। हालांकि, सरकार ने नागरिकों को वैकल्पिक साधनों की ओर बढ़ने की सलाह दी है, जैसे कि CNG वाहनों की ओर रुख करना, इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना या सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाना। इसके अलावा, पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की प्रक्रिया को भी सुगम बनाने के लिए ‘व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी’ के तहत विशेष केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

दिल्ली में वायु गुणवत्ता लंबे समय से चिंता का विषय रही है। नवंबर-दिसंबर में विशेष रूप से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है, जिससे न सिर्फ बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर असर पड़ता है, बल्कि सामान्य जनजीवन भी प्रभावित होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। सरकार की यह नई नीति इन स्रोतों पर लगाम लगाने के उद्देश्य से बनाई गई है।

पर्यावरणविदों और जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम की सराहना की है, लेकिन साथ ही सुझाव दिया है कि नियमों के लागू होने के साथ-साथ जनजागरूकता अभियानों को भी मजबूती दी जाए, ताकि वाहन मालिक समय रहते अपने विकल्पों पर विचार कर सकें और प्रशासनिक अव्यवस्था से बचा जा सके।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस फैसले का जमीनी असर कैसा होता है और क्या यह कदम दिल्ली की हवा को वास्तव में सांस लेने लायक बना पाता है। फिलहाल, वाहन मालिकों और पंप संचालकों को 1 जुलाई से पहले इस नए नियम के अनुसार खुद को तैयार करना होगा, क्योंकि इस बार सरकार के रुख से यह साफ है कि कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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