News Report
TRUTH BEHIND THE NEWS

वाराणसी: हरि प्रबोधिनी एकादशी पर काशी विश्वनाथ धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़

वाराणसी: हरि प्रबोधिनी एकादशी पर काशी विश्वनाथ धाम में उमड़ी भक्तों की भीड़

देवोत्थान एकादशी पर काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी, विशेष पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार से पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।

वाराणसी: भगवान विष्णु के जागरण पर्व हरि प्रबोधिनी एकादशी यानी देवोत्थान एकादशी के अवसर पर काशी एक बार फिर आस्था और भक्ति से सराबोर हो उठी। शुक्रवार को सुबह से ही काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भगवान विश्वनाथ और भगवान विष्णु के जागरण पर्व के इस पावन अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, दीपदान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूरा परिसर आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया।

भोर से ही श्रद्धालु गंगा स्नान कर मंदिर पहुंचे और हरि प्रबोधिनी एकादशी का व्रत रखकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। मंदिर के गर्भगृह में भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया, जिसमें गन्ने के पेड़ों, रंग-बिरंगे पुष्पों और सुगंधित वस्त्रों का प्रयोग हुआ। गन्ने से बने तोरण द्वार और सजे हुए दीपों की रोशनी ने धाम को अलौकिक आभा प्रदान की। श्रद्धालु भगवान के इस रूप को देखकर भाव-विभोर हो उठे।

इस अवसर पर 21 ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक रूप से विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ किया गया। वैदिक मंत्रों की ध्वनि से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। मंदिर प्रांगण में सप्तऋषि आरती के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। आरती के समय वातावरण में शंख और घंटियों की ध्वनि के साथ भक्तों के जयघोष से भक्ति का सागर उमड़ पड़ा।

धार्मिक परंपरा के अनुसार, देवोत्थान एकादशी से भगवान विष्णु की योगनिद्रा समाप्त होती है और चार महीने के चातुर्मास के बाद मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इसलिए इस दिन का धार्मिक और सामाजिक दोनों दृष्टि से विशेष महत्व है। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर दीपदान किया और मंदिर परिसर में भक्ति गीतों की स्वर लहरियों से माहौल और भी मनमोहक हो गया।

काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों ने बताया कि इस दिन की पूजा से वर्षभर के पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग मिलता है। उन्होंने कहा कि देवोत्थान एकादशी का पर्व भगवान विष्णु और भगवान शिव की संयुक्त आराधना का प्रतीक है।

पूरे शहर में इस पर्व को लेकर विशेष सजावट की गई थी। गंगा घाटों पर भी श्रद्धालु दीप जलाकर भगवान विष्णु का आभार प्रकट करते नजर आए। वाराणसी के विभिन्न मंदिरों में दिनभर भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन चलता रहा।

देवोत्थान एकादशी के इस शुभ पर्व ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि काशी न केवल मोक्ष की नगरी है, बल्कि आस्था, परंपरा और भक्ति का जीवंत केंद्र भी है।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL
News Report Youtube Channel

LATEST NEWS