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जौनपुर में बसुही नदी पर जर्जर बांस का पुल, जान जोखिम में डालकर कर रहे आवागमन

जौनपुर में बसुही नदी पर जर्जर बांस का पुल, जान जोखिम में डालकर कर रहे आवागमन

जौनपुर में बसुही नदी पर एक अस्थायी बांस का पुल हजारों ग्रामीणों के लिए जानलेवा बना है, जिससे आवागमन में भारी मुश्किलें आ रही हैं।

जौनपुर: बसुही नदी पर बने एक अस्थायी बांस के पुल ने गांवों के हजारों लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। धावा गांव के पास स्थित यह पुल कई वर्षों से ग्रामीणों का एकमात्र सहारा बना हुआ है, लेकिन इसकी जर्जर स्थिति के कारण प्रतिदिन लोग अपनी जान जोखिम में डालकर आवागमन करने को मजबूर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस स्थान पर स्थायी पुल की मांग पिछले 30 वर्षों से लंबित है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। इस समस्या के कारण छात्रों, किसानों, महिलाओं और रोजमर्रा के कामकाज से जुड़े लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

धावा गांव को बेलवा बाजार और भन्नौर बाजार से जोड़ने वाला यह बांस का पुल कई गांवों की जीवनरेखा माना जाता है। भन्नौर, सोनाई, धावा, हैदरगंज, उमरम, धर्मदासपुर, कान्हवन्सी पुर, चतुर्भुज पुर, पिपरिया, हरदुवारी, बेलवा और बडेरी जैसे गांवों के लोग प्रतिदिन इसी पुल से होकर गुजरते हैं। नदी पार करने के दौरान अक्सर फिसलन और कमज़ोर पकड़ की वजह से हादसे होते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई छात्र पुल से फिसल कर नदी में गिर चुके हैं। कुछ वर्षों में कई दुर्घटनाएं सामने आई हैं और एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि भी की गई है। ग्रामीण इस रास्ते को जीवन और मृत्यु का खेल बताते हैं।

स्थानीय लोगों ने बताया कि लगभग पांच साल पहले धावा गांव के पप्पू यादव और कुछ ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर बसुही नदी में स्थायी पुल के लिए चार खंभे खड़े किए थे। उनका उद्देश्य एक मजबूत पुल का निर्माण करना था, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण काम पूरा नहीं हो पाया। पुल निर्माण की मांग लगभग तीन दशक पहले पारसनाथ यादव के कार्यकाल में उठी थी। इसके बाद कई सांसदों और विधायकों ने यहां भूमि पूजन भी किया, लेकिन निर्माण कार्य कभी शुरू नहीं हुआ। ग्रामीण इस लंबे इंतजार से निराश हैं और बार बार मांग उठाने के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है।

इस गंभीर समस्या को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता जज सिंह अन्ना ने धावा गांव पहुंचकर हालात का जायजा लिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इतने बड़े क्षेत्र के ग्रामीण एक असुरक्षित और अस्थायी पुल पर निर्भर हैं, जो किसी भी समय बड़ा हादसा दे सकता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार, जिलाधिकारी जौनपुर और पीडब्ल्यूडी विभाग से तुरंत संज्ञान लेने की अपील की है। सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में एक मानक के अनुसार सरकारी पुल का निर्माण केवल सुविधा का प्रश्न नहीं है, बल्कि यह सुरक्षा और विकास दोनों से जुड़ा हुआ मुद्दा है।

बसुही नदी पर मड़ियाहू और मछली शहर क्षेत्र में कुल 25 पुलों की मांग वर्षों से लंबित है, जो इस पूरे इलाके में पुलों की कमी और खराब आवागमन व्यवस्था की समस्या को उजागर करती है। ग्रामीणों का कहना है कि सही पुल बनने के बाद न केवल यात्रा जोखिम मुक्त होगी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और कृषि कार्यों से जुड़ी कई दिक्कतें भी खत्म हो जाएंगी। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस मांग को गंभीरता से लेकर जल्द समाधान प्रदान करेगी।

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