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कानपुर: अमृतसर में हार्ट अटैक से बीएसएफ हवलदार का निधन, परिवार में मातम

कानपुर: अमृतसर में हार्ट अटैक से बीएसएफ हवलदार का निधन, परिवार में मातम

कानपुर के बीएसएफ हवलदार विनोद कुमार पाल का अमृतसर में हार्ट अटैक से निधन, पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही परिवार सदमे में डूब गया।

कानपुर के रहने वाले बीएसएफ हवलदार विनोद कुमार पाल का पार्थिव शरीर बुधवार सुबह जब घर पहुंचा तो पूरा परिवार गहरे सदमे में डूब गया। अमृतसर में ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। तिरंगे में लिपटा शव देखते ही पत्नी मीरा पाल बेटे मयंक उर्फ शंटी और बेटी गीतांशी शव से लिपटकर रोने लगे। घर और गांव में मातम छा गया। परिजनों की चीख पुकार से माहौल बेहद भावुक हो गया।

परिवार के अनुसार विनोद कुमार पाल के निधन की सूचना सेना की ओर से रविवार रात ही दी गई थी। उनके साथी जवानों ने फोन कर बेटे मयंक को इस दुखद खबर की जानकारी दी थी। यह सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। परिवार में पत्नी के अलावा मां पार्वती देवी छोटा भाई प्रमोद पाल और बेटी गीतांशी हैं। विनोद पाल के बड़े भाई मनोज पाल भी बीएसएफ में हैं और वर्तमान में मणिपुर में सीओ के पद पर तैनात हैं।

बेटे मयंक ने बताया कि रविवार रात करीब आठ बजे मां और पिता से वीडियो कॉल पर बात हुई थी। पिता ने घर का हालचाल पूछा था और ड्यूटी पर जाने की बात कही थी। उनकी तबीयत पूरी तरह ठीक लग रही थी। करीब छह महीने पहले उन्हें लीवर फैटी की समस्या हुई थी लेकिन इलाज के बाद वह पूरी तरह ठीक हो गए थे और दवाइयां भी बंद हो चुकी थीं। मयंक ने बताया कि पिता जल्द ही छुट्टी लेकर घर आने वाले थे जिससे परिवार सभी तैयारी में लगा था लेकिन अचानक आई खबर ने सब कुछ बदल दिया।

बेटी गीतांशी ने बताया कि रविवार को ही उनकी पिता से आखिरी बार बात हुई थी। उन्होंने पढ़ाई के बारे में पूछा और अच्छे से मन लगाकर पढ़ने की सलाह दी थी। इससे पहले वह दीपावली पर घर आए थे। बेटी ने कहा कि पिता हमेशा देश सेवा और अनुशासन की बात करते थे।

विनोद कुमार पाल अरौल थाना क्षेत्र के बहरामपुर गांव के मूल निवासी थे और परिवार के साथ कल्याणपुर क्षेत्र के मिर्जापुर में रहते थे। अमृतसर में पोस्टमार्टम के बाद पार्थिव शरीर बुधवार सुबह सबसे पहले कल्याणपुर लाया गया फिर बहरामपुर गांव ले जाया गया। गांव पहुंचते ही लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। अंतिम यात्रा में पांच सौ से अधिक युवा तिरंगा लेकर शामिल हुए और भारत माता की जय तथा वीर जवान अमर रहें के नारे गूंजते रहे।

बहरामपुर गांव के पास गंगा घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। बीएसएफ जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया और बेटे ने मुखाग्नि दी। शोक के माहौल में गांव ने अपने वीर सपूत को नम आंखों से अंतिम विदाई दी। परिवार ने सरकार से दोनों बच्चों को योग्यता के अनुसार नौकरी देने गांव में शहीद स्मारक बनाने और शहीद के नाम पर सड़क का नामकरण करने की मांग की है। गांव और क्षेत्र के लोगों का कहना है कि विनोद कुमार पाल का योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

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