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कर्नाटक में नफरती भाषण रोकथाम विधेयक पारित, देश का पहला राज्य बना

कर्नाटक में नफरती भाषण रोकथाम विधेयक पारित, देश का पहला राज्य बना

कर्नाटक विधान परिषद ने नफरती भाषण व अपराध रोकथाम विधेयक को मंजूरी दी, दोषियों को 1 से 7 साल तक की सजा होगी।

नई दिल्ली : कर्नाटक में नफरती भाषण और नफरती अपराधों पर सख्ती करते हुए राज्य विधान परिषद ने शुक्रवार को नफरती भाषण और नफरती अपराध रोकथाम विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले यह विधेयक विधानसभा में पारित हो चुका था। अब राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह कानून का रूप ले लेगा। इस कानून के तहत नफरती भाषण या नफरती अपराध के दोषियों को एक वर्ष से लेकर सात वर्ष तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही कर्नाटक ऐसा कानून पारित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य समाज में बढ़ती साम्प्रदायिक कटुता पर लगाम लगाना और शांति व्यवस्था को मजबूत करना है।

विधेयक के अनुसार यदि किसी संगठन या संस्था की ओर से नफरती अपराध किया जाता है तो उस समय जिम्मेदारी निभा रहे प्रत्येक व्यक्ति को दोषी माना जाएगा। हालांकि आरोपी को यह साबित करने का अवसर मिलेगा कि उसने अपराध को रोकने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती थीं। कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि ऐसे मामलों में जमानत मिलना कठिन होगा और अपराध को गैर जमानती की श्रेणी में रखा गया है। कार्यकारी मजिस्ट्रेट विशेष कार्यकारी मजिस्ट्रेट और उप पुलिस अधीक्षकों को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उन्हें आशंका हो कि उनके क्षेत्र में कोई व्यक्ति या समूह नफरती अपराध कर सकता है तो वे समय रहते निवारक कार्रवाई कर सकेंगे।

विधेयक के विरोध में भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा नेताओं ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध का हथियार बताते हुए कहा कि इसका दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ किया जा सकता है। विपक्ष का आरोप है कि यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है और इसके कई प्रावधान संविधान की भावना के खिलाफ हैं। वहीं सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि यह कानून किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं बल्कि समाज में बढ़ती नफरत और विभाजन को रोकने के लिए लाया गया है। गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा कि नफरती और साम्प्रदायिक भाषणों में हाल के वर्षों में वृद्धि हुई है और इसे रोकना समय की आवश्यकता है।

नए कानून में नफरती भाषण की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। इसके तहत किसी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ धर्म जाति भाषा लिंग जन्म स्थान निवास या अन्य पहचान के आधार पर दुश्मनी घृणा या द्वेष फैलाने वाली अभिव्यक्ति को नफरती भाषण माना जाएगा। बार बार अपराध करने पर अधिकतम सात वर्ष की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा सरकार द्वारा अधिसूचित अधिकारी को यह अधिकार होगा कि वह डिजिटल प्लेटफार्म या सेवा प्रदाता को नफरती सामग्री हटाने या ब्लाक करने का निर्देश दे सके। सरकार का दावा है कि इस कानून से सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा मिलेगा और सार्वजनिक शांति बनाए रखने में मदद मिलेगी।

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