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संभल: दुष्कर्म व जलाकर मारने का मामला, चार दोषियों को कठोर आजीवन कारावास

संभल: दुष्कर्म व जलाकर मारने का मामला, चार दोषियों को कठोर आजीवन कारावास

संभल में सामूहिक दुष्कर्म और महिला को जिंदा जलाने के बहुचर्चित मामले में कोर्ट ने चार दोषियों को आजीवन कारावास सुनाया है।

चंदौसी संभल : सात वर्षीय बेटी के सामने सामूहिक दुष्कर्म के बाद महिला को जिंदा जलाने के बहुचर्चित मामले में अदालत ने चार दोषी रिश्तेदारों को कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट एवं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को सजा का ऐलान करते हुए प्रत्येक दोषी पर 1 लाख 7 हजार रुपये का अलग अलग जुर्माना भी लगाया है। अदालत इससे पहले 17 दिसंबर को चारों आरोपितों को दोषी ठहराकर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज चुकी थी। इस मामले में एक बाल अपचारी की पत्रावली किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।

यह जघन्य घटना 13 जुलाई 2018 की है। रजपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाला युवक मजदूरी के लिए गाजियाबाद गया हुआ था। घर पर उसकी पत्नी और सात वर्षीय बेटी मौजूद थीं। 12 जुलाई की रात गांव के ही आराम सिंह महावीर गुल्लू उर्फ जयवीर भोना उर्फ कुंवरपाल और एक नाबालिग जबरन घर में घुसे और बच्ची के सामने महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। आरोपितों के चले जाने के बाद पीड़िता ने डायल 112 और अपने पति से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी। इसके बाद उसने अपने ममेरे भाई को फोन कर आपबीती बताई।

कुछ देर बाद आरोपी दोबारा लौटे और महिला को जबरन घर से लगभग बीस मीटर दूर मंदिर की हवनकुंड वाली झोपड़ी तक ले गए। इसी दौरान परिवार के लोग महिला को तलाशते हुए पहुंचे। घर पर महिला न मिलने पर उन्होंने मंदिर के पास झोपड़ी को जलते देखा। आग बुझाने पर वहां महिला का शव मिला। घटना के बाद पूरे इलाके में आक्रोश फैल गया।

पीड़िता के पति की तहरीर पर पुलिस ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। विवेचना के दौरान पीड़िता की बेटी की गवाही और ममेरे भाई को की गई कॉल की ऑडियो रिकॉर्डिंग ने पूरे मामले की सच्चाई उजागर की। अदालत में इन्हीं सबूतों के आधार पर चारों आरोपियों को दोषी ठहराया गया और अब उन्हें कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

इस मामले में शुरुआती जांच को लेकर भी बड़ा विवाद सामने आया था। प्रारंभ में पुलिस ने इस जघन्य अपराध को केवल हत्या का मामला दिखाने की कोशिश की थी। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने भी दुष्कर्म की बात से इनकार किया था। बाद में जब पीड़िता की कॉल रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर सामने आई और मामला शासन तक पहुंचा तो तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही कई पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई हुई थी।

अदालत के इस फैसले को पीड़ित परिवार के लिए न्याय की बड़ी जीत माना जा रहा है। वर्षों तक चले इस मुकदमे में पति को अपनी पत्नी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ते हुए अपने बच्चों की पढ़ाई तक छुड़वानी पड़ी थी। अब अदालत के निर्णय के बाद परिवार को कुछ हद तक न्याय मिलने की उम्मीद जगी है।

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