News Report
TRUTH BEHIND THE NEWS

काशी और तमिलनाडु के रिश्ते को मजबूत करेगा संगमम् का चौथा संस्करण, 2 दिसंबर से शुरू

काशी और तमिलनाडु के रिश्ते को मजबूत करेगा संगमम् का चौथा संस्करण, 2 दिसंबर से शुरू

काशी तमिल संगमम् का चौथा संस्करण 2 दिसंबर से नमो घाट पर होगा शुरू, यह आयोजन काशी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करेगा।

वाराणसी: काशी और तमिलनाडु के गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को आगे बढ़ाने वाला काशी तमिल संगमम् का चौथा संस्करण इस बार दो दिसंबर को नमो घाट से शुरू होने जा रहा है। दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी काशी और सबसे पुरानी जीवित भाषा तमिल के ऐतिहासिक रिश्ते को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आयोजन की परिकल्पना की थी। वर्ष 2022 में पहली बार जब तमिलनाडु से दस हजार से अधिक प्रतिभागी काशी पहुंचे, तभी यह संगम एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक अभियान के रूप में स्थापित हो गया।

पहले संस्करण की शुरुआत 17 नवंबर 2022 को हुई थी और 19 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने इसका औपचारिक उद्घाटन किया था। उस समय उन्होंने कहा था कि तमिल दुनिया की प्राचीन भाषा है और इसकी धरोहर पर गर्व करना पूरे देश का कर्तव्य है। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यदि हम तमिल को भुलाएंगे तो यह पूरे राष्ट्र के लिए क्षति होगी। भाषा भेद को मिटाने और भावनात्मक एकता को मजबूत करने के लिए यह आयोजन एक सेतु की तरह काम करेगा।

इस बार काशी तमिल संगमम् की थीम है लर्न तमिल, तमिल करकलम्, जिसका उद्देश्य तमिल भाषा, साहित्य और उससे जुड़ी सांस्कृतिक विरासत को नई पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाना है। इस आयोजन का संचालन भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय और बीएचयू कर रहे हैं। पहले संस्करण का समापन गृह मंत्री अमित शाह ने किया था, जबकि उद्घाटन के दौरान 11 केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति रही। इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विदेश मंत्री एस जयशंकर और संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी जैसे प्रमुख नाम शामिल थे। उस समय उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि भी मौजूद रहे।

पहले संस्करण के दौरान आए तमिलनाडु के प्रतिभागियों ने काशी की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव किया था। उन्होंने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में दर्शन किए, गंगा आरती देखी और सारनाथ सहित कई ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण किया। एक विशेष काशी तमिल संगमम् एक्सप्रेस ट्रेन भी चलाई गई, जिसने उत्तर और दक्षिण भारत को एक सांस्कृतिक धागे में पिरोने का काम किया।

काशी और तमिलनाडु दोनों की सामाजिक और धार्मिक संरचनाएं सदियों से एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जहां काशी में बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद है, वहीं तमिलनाडु में रामेश्वरम से शिव का आह्वान होता है। काशी और कांची दोनों सप्तपुरियों में शामिल हैं और दोनों ही संगीत, साहित्य, कला और दर्शन के श्रेष्ठ केंद्र माने जाते हैं। काशी की बनारसी साड़ी और तमिलनाडु का कांजीवरम सिल्क दोनों की वैश्विक पहचान है।

पहले सत्र में तमिलनाडु से आए 12 विशेष दलों में छात्र, व्यापारी, किसान, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक, साहित्यकार और धर्माचार्य शामिल थे। संगीतकार इलैयाराजा और अभिनेत्री खुशबू जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व भी संगम का हिस्सा बने।

काशी तमिल संगमम् का यह नया संस्करण भी उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों को एक बार फिर एक मंच पर लाने, समझ बढ़ाने और सांस्कृतिक विविधता की एकता को सुदृढ़ करने का माध्यम बनने जा रहा है।

FOLLOW WHATSAPP CHANNEL
Bluva Beverages Pvt. Ltd

LATEST NEWS